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सीएसई का बारहवां मीडिया फैलोशिप- आवेदन की अंतिम तिथि बढ़ायी गई

    सेंटर फॉर साईंस एंड एन्वायर्न्मेंट (सीएसई) की पापिया समजदार से प्राप्त सूचना के अनुसार सीएसई के बारहवें मीडिया फैलोशिप- वाटरबॉडीज इन इंडिया: पब्लिक स्पेस, प्राइवेट डिजायन-  में आवेदन करने की अंतिम तिथि बढाकर 31 मई,2011 कर दी गई है। इस सिलसिले में किसी भी स्पष्टीकरण के लिए कृपया निम्नलिखित नंबर पर फोन या फैक्स करें-  फोन: 011-29955124, 29955125, फैक्स: 011-29955879' 9811906977 ईमेल:   उद्योग-धंधे, शहरीकरण, बढ़ती आबादी, आधे-अधूरे कानून-- जमीन ही नहीं जलाशयों पर भी इन सबका...

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जहां बरसता है बादल, बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं लोग-विजय मनोहर तिवारी

चेरापूंजी में सबसे ज्यादा बारिश होती है। फिर भी यहां पीने के पानी का संकट है। इसलिए क्योंकि लोगों की घरों में पानी बचाकर रखने की आदत नहीं है। यहां पहाड़ ही पानी का जरिया हैं। बहती धाराओं के नीचे बनाए गए कुंड या इनके नीचे खासतौर पर रखी टंकियों में पानी जमा होता है। फिर पीवीसी पाइपों से सीधे घरों में पहुंचता है। स्थानीय निवासी 50 वर्षीय केनी का सवाल...

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झारखण्ड में भयावह हो चला है जल संकट

रांची. पूरे राज्य में गर्मी दस्तक दे रही है। इसके साथ ही पूरा राज्य गंभीर पेयजल संकट की ओर बढ़ रहा है। अभी तक सरकार ने शहरी जलापूर्ति के लिए कोई एक्शन प्लान भी नहीं बनाया है। हालांकि सरकार ने ग्रामीण पेयजल के लिए 13 करोड़ की योजना मंजूर की है, जिसके तहत हर पंचायत में दो डीप बोरिंग की जानी है। मगर शहर के लिए अभी तक कोई प्लान नहीं...

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सिमट सिमट जल भरहिं तलाबा- अनुपम मिश्र

आज हर बात की तरह पानी का राजनीति भी चल निकली है। पानी तरल है, इसलिए उसकी राजनीति भी जरूरत से ज्यादा बहने लगी है। देश का ऐसा कोई हिस्सा नहीं है, जिसे प्रकृति उसके लायक पानी न देती हो, लेकिन आज दो घरों, दो गांवों, दो शहरों, दो राज्यों और दो देशों के बीच भी पानी को लेकर एक न एक लड़ाई हर जगह मिलेगी। मौसम विशेषज्ञ बताते हैं कि...

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प्रस्तावित बैराजों से सिंचाई के लिए भी पानी मिलेगा : रमन

रायपुर.मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि छत्तीसग़ढ की जीवन रेखा महानदी पर जांजगीर-चांपा, रायग़ढ और रायपुर जिले में प्रस्तावित सात विशाल बैराजो के निर्माण से उद्योगों के साथ-साथ किसानों को खेती के लिए भी पर्याप्त पानी उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि ये सातों विशाल बैराज अत्याधुनिक तकनीक से बनाए जाएंगे। इनमें उद्योगों के लिए भूमिगत पाइप लाइनों के द्वारा और सिंचाई के लिए लिफ्ट प्रणाली से पानी दिया जा...

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