आखिरी समाचार मिलने तक केरल की बाढ़ लगभग 400 लोगों को निगल चुकी है। करीब 10 लाख लोगों को इसके कारण बेघर होना पड़ा है और निजी व सरकारी संपत्तियों के नुकसान का आंकड़ा तो हजारों करोड़ में पहुंचेगा। एक बार जब बारिश थमेगी और राज्य सरकार अपनी अर्थव्यवस्था, इन्फ्रास्ट्रक्चर और जन-स्वास्थ्य को फिर से पटरी पर लाने का काम शुरू करेगी, तब उसे कहीं गंभीर समस्याओं का सामना करना...
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विकास केवल आर्थिक वृद्धि नहीं-- ज्यां द्रेज
भारत में 'रिकॉर्ड्स' बनाने या रखने का बहुत शौक है. गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में घुसने के लिए लोग क्या-क्या नहीं करते हैं. लोग माउंट एवरेस्ट पर चढ़ जाते हैं, पांच कुंतल का लड्डू बनाते हैं, तो दस फुट की अपनी मूंछ बढ़ा लेते हैं. आजकल भारत सरकार एक और रिकॉर्ड की तलाश कर रही है- सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था. और पिछले कुछ सालों में इस रिकॉर्ड...
More »किसानों का अविश्वास मत पास-- योगेन्द्र यादव
इधर लोकसभा में मोदी सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पर बहस होगी. उधर अखिल भारतीय किसान संघ समिति के बैनर तले 201 किसान संगठनों के प्रतिनिधि संसद के बाहर प्रदर्शन कर इस सरकार में अविश्वास जतायेंगे. दसों दिशाओं से किसानों का संदेश संसद के दरवाजे पर दस्तक देगा. लोकसभा के भीतर यह आवाज पहुंचे न पहुंचे, लेकिन हम सब दस दिशाओं से आनेवाली इन आवाजों को सुन सकते हैं, उन...
More »धान के गीत गानेवाले-- डा. अनुज लुगुन
धान रोपनी का एक गीत है- ‘रोपा रोपे गेले रे डिंडा दंगोड़ी गुन्गु उपारे जिलिपी लगाये / लाजो नहीं लगे रे डिंडा दंगोड़ी गुन्गु उपारे जिलिपी लगाये /हर जोते गेले रे डिंडा दंगोड़ा एड़ी भईर तोलोंग लोसाते जाये /लाजो नहीं लगे रे डिंडा दंगोड़ा एड़ी भईर तोलोंग लोसाते जाये.' झारखंड के आदिवासियों के द्वारा गाये जानेवाले इस गीत में धान की खेती के समय का उल्लास है. यह धान की...
More »कर्नाटक के विनाश की नई राह-- रामचंद्र गुहा
यह 1989 की बात है जब मैं शिवराम कारंथ से उनके दक्षिण कर्नाटक स्थित गांव सालिग्राम में मिला था। आधुनिक कन्नड़ उपन्यास के जनक, यक्षगान जैसे प्राचीन नृत्य नाटक का पुनर्पाठ प्रस्तुत करने वाले, विधवा विवाह और स्त्री शिक्षा को बढ़ावा देने वाले शिवराम कारंथ उन दिनों अपने प्यारे पश्चिमी घाटों को विनाश से बचाने की मुहिम में जुटे थे। 80 साल की उम्र में भी वे खासे सक्रिय रहकर...
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