जितेंद्र यादव, इंदौर। सोयाबीन की पेटी माने जाने वाले मालवा के बड़े हिस्से में इस बार सोयाबीन का उत्पादन आधा रह जाएगा। एक हेक्टेयर में औसत पैदावार सिर्फ 7-8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर यानी एक बीघा में केवल दो क्विंटल। ये सरकार के फसल कटाई प्रयोग से निकले आंकड़े हैं, जबकि हकीकत तो इससे भी भयावह है। कई किसानों का तो बीज भी लौटकर नहीं आया। सोयाबीन अनुसंधान केंद्र के अनुसार, पूरी...
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दाल उत्पादन बढ़ाने की जरूरत-- रमेश दूबे
महंगे प्याज ने पहले ही किचन का जायका बिगाड़ के रखा है और अब दाल की कीमतें भी आसमान छूने लगी हैं. दालों की कीमतों पर लगाम लगाने के सरकार ने स्टॉक लिमिट, जमाखोरों के खिलाफ कार्रवाई, दालों के वायदा कारोबार का निलंबन जैसे उपाय किये हैं, लेकिन ये कारगर साबित नहीं हो रहे हैं. सरकार भले ही थोक मुद्रास्फीति के माइनस 4.95 के ऐतिहासिक स्तर तक पहुंचने का ढिंढोरा...
More »किसानों को दिया संक्रमित बीज, 250 एकड़ की फसल खराब
रायपुर। आरंग तहसील की 250 एकड़ भूमि में बोई गई दुर्गेश्वरी बीज की फसल पूरी तरह चौपट हो गई है। सरकार ने 70 किसानों को बीज के प्रचार-प्रसार के लिए बीज निगम के माध्यम से बीज की सप्लाई की थी, लेकिन समय से पहले बाली आने के बाद दाने झड़ गए, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है और उनकी साल भर की मेहनत खराब हो गई है। पीड़ित 70...
More »इंजीनियरों से हारे किसानों ने खुद ही बना डाला अस्थाई बंध
विनोद सिंह, जगदलपुर (छत्तीसगढ़)। जल संसाधन विभाग से क्षतिग्रस्त सिंचाई योजना की मरम्मत की गुहार लगाकर थक चुके तोकापाल ब्लाक के रायकोट के किसानों ने खुद ही नाला में अस्थाई बंध तैयार कर एक मिसाल कायम की है। इंजीनियरों के झूठ व झूठे वादों को दरकिनार कर किसान अस्थाई बंध का निर्माण कर आज की स्थिति में हर साल खरीफ और रबी सीजन में 60 से 70 हेक्टेयर क्षेत्र में...
More »खाद्य सुरक्षा के दबाव में कार्बन उत्सर्जन घटाना चुनौती
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। देश की खाद्य सुरक्षा के दबाव में भारत का कृषि क्षेत्र कार्बन उत्सर्जन घटाने की हालत में नहीं है। सबके लिए भोजन मुहैया कराना फिलहाल प्राथमिकता है। हालांकि उत्सर्जन को कम करने के लिए जैविक खेती और भूमि प्रबंधन, जल संरक्षण व नाइट्रोजन का उपयोग कम करने की जरूरत है। पशुओं के बगैर जैविक खेती संभव नहीं है। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचने के...
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