हमारी शिक्षा व्यवस्था में आज यह कमजोरी है कि हम बच्चों के अपने अनुभवों को, उनकी अपनी स्वाभाविक बोली को, जुबान को बहुत जल्दी एक मानक भाषा में या एक मानक सोच के सांचे में ढाल देना चाहते हैं। हम अपनी व्यवस्था में एक छोटे बच्चे और किशोर में फर्क नहीं कर पाते। हालांकि शिक्षक सीखते जरूर हैं शिक्षक प्रशिक्षण में कि बाल मनोविज्ञान ऐसा होता है, शिशु ऐसा होता...
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तीन तरीकों से बनाएं अपनी शिक्षा व्यवस्था बेहतर - अनुराग बेहर
पहला कदम तो यह कि हमें उस शिक्षा व्यवस्था में सुधार करना होगा और उसे पूरी तरह बदलना होगा, जिससे भविष्य के शिक्षक होकर गुजरते हैं। इसे सामान्य भाषा में बीएड और डीएड व्यवस्था कहा जाता है। शिक्षक बनने के लिए यह जरूरी योग्यता है। कहना न होगा कि शिक्षक बनाने वाली भारत की इस व्यवस्था की हालत खराब है। हमें शिक्षक बनने के इच्छुक युवाओं के लिए दो वर्षीय...
More »असमानता की बढ़ती खाई का खतरा--
दुनिया में गरीबी और अन्याय दूर करने के लिए काम करनेवाली संस्था आॅक्सफैम ने क्रेडिट स्विस के आंकड़ों के आधार पर बढ़ती असमानता की जो भयावह तस्वीर खींची है, उसने नवउदारवादी नीतियों की उपयोगिता पर फिर से बहस तेज कर दी है. इस तस्वीर से जहां नवउदारवाद के आलोचक अपनी बात को सही होते हुए पा रहे हैं कि मौजूदा आर्थिक प्रक्रिया के माध्यम से अमीर और अमीर होंगे व...
More »हाथभर उजाला और कोसभर अंधेरा - अनुराग चतुर्वेदी
दुनिया में अमीरों और गरीबों के बीच बढ़ती खाई को लेकर बेहद चौंकाने वाले आंकड़े आए हैं। कल से शुरू हुए अमीर देशों के सम्मेलन से ऐन पहले जारी किए गए इन आंकड़ों को सही मानें तो आज महज 62 धनकुबेरों के पास दुनिया की आधी आबादी के बराबर धन इकठ्ठा हो गया है। ऑक्सफेम के इस सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि जल्द ही वह स्थिति निर्मित...
More »अनभिज्ञ हैं, तो हम हैं न!
वित्त मंत्रालय ने लोगों को वित्तीय साक्षर बनाने के लिए आइटीआइ के सहयोग से कौशल विकास केंद्र का संचालन शुरू किया है. इन केंद्रों पर लोगों को आसान भाषा और विषयों के जरिये वित्तीय शिक्षा दी जा रही है, ताकि कोई वित्तीय ठगी अथवा धोखाधड़ी का शिकार न हो पाये. अब यदि किसी के सामने वित्तीय समस्या पैदा हो रही है, तो सोचने की जरूरत नहीं. वह इन केंद्रों...
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