कोरबा, नईदुनिया न्यूज। मैं भी अन्य बच्चों की तरह सामान्य जिंदगी जीना चाहता हूं। स्कूल जाकर पढ़ाई करना चाहता हूं। बापू स्कूल नहीं जाने देते। जब घर में रहते हैं तो कुछ समय के लिए दरवाजा खोलते हैं। काम में जाने के पहले मुझे घर में बंद करके चले जाते हैं। यह बात कमरे के अंदर बंद 8 साल के सोनसाय पंडो ने दरवाजे के झरोखे से झांकते हुए कही। दरअसल...
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झुलसी महिलाओं को नयी जिंदगी
एक बार आग से जल जाने या झुलस जाने के बाद अमूमन जिंदगी पहले जैसी नहीं रह जाती है. शरीर का अगला हिस्सा या चेहरा जल जाये तो आत्मविश्वास डोल जाता है. यह हादसा महिलाओं के साथ हो जाये तो होनेवाली पीड़ा की सिर्फ कल्पना ही डरा देनेवाली है. चेन्नई में एक रेस्टोरेंट ऐसा है, जो ऐसी पीड़िताओं को नौकरी दे कर उनमें आत्मविश्वास भरने का काम कर रहा है....
More »'जीवन के अधिकार पर बड़ा हमला है नोटबंदी का फैसला, भरपायी के जल्दी हों उपाय''
नोटबंदी के फैसले को भोजन के अधिकार और जीवन के अधिकार पर बड़ा हमला करार देते हुए रोजी-रोटी अधिकार अभियान ने मांग की है कि नकदी की भारी किल्लत के बीच लोगों को हो रही कठिनाइयों की क्षतिपूर्ति के लिए सरकार विधवा, बुजुर्ग और विकलांगों को मिलने वाले सामाजिक सुरक्षा पेंशन में अपना हिस्सा 200 रुपये से बढ़ाकर 1000 रुपया करे.(देखें नीचे दी गई लिंक) अरुणा रॉय, निखिल डे, कविता श्रीवास्तव, एनी...
More »भ्रष्टाचार से लाचार लोकतंत्र!-- चंदन श्रीवास्तव
भ्रष्टाचार की बातें तो बहुत हैं, लेकिन शिकायतें बड़ी ही कम हैं! अब इस उलटबांसी की व्याख्या कैसे हो? क्या हम यह मान लें कि चलो फिर से इस नियम की पुष्टी हुई कि भारत विरोधाभासों का देश है? सार्वजनिक जीवन में नजर आनेवाला विरोधाभास दोहरा अर्थ-संकेत होता है. उसका एक इंगित है कि हमारा तंत्र पाखंड से भरा है और दूसरा इंगित कि अन्याय आठो पहर आंखों...
More »जलवायु: मौसम का पक्ष-विपक्ष-- अखिलेश आर्येंन्दु
धूप-छांव, गरमी-बरसात का आना-जाना प्राकृतिक संतुलन के लिए जरूरी है। धरती पर जीवन के लिए ये मौसम उतने ही जरूरी हैं जितना की हमें जिंदा रहने के लिए जल और भोजन। यों तो हमारी जलवायु के हिसाब से बारह महीने में तीन मौसम-जाड़ा, गरमी और बरसात प्रमुख हैं। उनका अपना अलग रंग-ढंग है। हर मौसम की अपनी खामी और खूबी होती है। सभी मौसमों में हमें कुछ सुखद अहसास होते...
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