भुखमरी आज के समाज की एक सच्चाई है परन्तु मध्यप्रदेश के सहरिया आदिवासियों के लिये यह सच्चाई एक मिथक से पैदा हुई, जिन्दगी का अंग बनी और आज भी उनके साथ-साथ चलती है भूख. अफसोस इस बात का है कि सरकार अब जी जान से कोशिश में लगी हुई है कि भूखों की संख्या कम हो. वास्तविकता में भले इसके लिये प्रयास न किये जायें लेकिन कागज में तो सरकार...
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हरी वादियों का चितेरा
अस्सी के दशक की शुरुआत से ही एक अकेले व्यक्ति के शांत प्रयासों ने ऐसे ग्रामीण आंदोलन की नींव रखी जिसने उत्तराखंड की बंजर पहाड़ियों को फिर से हराभरा कर दिया। सच्चिदानंद भारती की असाधारण उपलब्धियों को सामने लाने का प्रयास किया संजय दुबे ने। (तहलका-हिन्दी से साभार) शायद ही कुछ ऐसा हो जो संच्चिदानंद भारती को उफरें खाल के बाकी ग्रामीणों से अलग करता हो। ये तो जब वो...
More »रोजाना दो हजार बच्चों को बांटता था ‘मीठा जहर’
जयपुर. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने रविवार को दो आइसक्रीम फैक्ट्रियों पर छापा मारकर सैपल लिए। एक फैक्ट्री गंदगी के ढेर के बीच चल रही थी तो दूसरी में सैक्रीन का उपयोग किया जा रहा था। सैक्रीन शरीर के लिए घातक साबित हो सकती है, इसलिए आइसक्रीम या कोल्ड ड्रिंक्स बनाने में इसका इस्तेमाल करना गैरकानूनी है।कालवाड़ रोड स्थित कृष्णा आइसक्रीम फैक्ट्री में सफाई का कतई ध्यान नहीं रखा गया था। जिन आइसबॉक्स में...
More »भूख है तो सब्र कर
इलाहाबाद। शुरुआत करते हैं दुष्यंत कुमार के एक शेर से-न हो कमीज तो पांव से पेट ढक लेंगे, ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफर के लिए। दरअसल इस शेर की याद इसलिए आई कि राज्य के मानवाधिकार आयोग ने एक ऐसे मामले का संज्ञान लिया है जो दुखद तो है ही साथ ही शर्मसार कर देने वाला भी है। इलाहाबाद के एक गाव में भूख मिटाने के लिए बच्चे मिट्टी खाने को...
More »खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 17.70 फीसदी हुई
नई दिल्ली। दूध, फलों एवं दालों की बढ़ती कीमतों से 27 मार्च को समाप्त हुए सप्ताह में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 17.70 फीसदी पर पहुंच गई। इससे रिजर्व बैंक द्वारा वार्षिक मौद्रिक नीति में दरें बढ़ाए जाने की आशंका बढ़ गई है। इससे पूर्व सप्ताह में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 16.35 फीसदी थी। आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में तेजी और खाद्य वस्तुओं की महंगाई का दायरा बढ़कर विनिर्मित उत्पादों तक पहुंचाने की आशंका...
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