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निम्न दर्जे पर पहुंचती उच्च शिक्षा - फिरोज वरुण गांधी

उन्नीसवीं सदी के लगभग मध्य में स्थापित कलकत्ता विश्वविद्यालय और उसके उत्तरार्ध के इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने देश को नोबेल विजेता और प्रधानमंत्री दिया है। मगर अब इनकी गिनती विश्व रैंकिंग में पहले 400 विश्वविद्यालयों में भी नहीं होती। यहां तक कि ब्रिक्स देशों के शीर्ष 20 विश्वविद्यालयों में हमारी एक भी यूनिवर्सिटी नहीं है। दरअसल, हमारे विश्वविद्यालय ‘उच्च शिक्षा के नगरपालिका स्कूल' में तब्दील हो गए हैं। दूसरी तरफ, अधिकतर...

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सौ नए संस्थानों में तैयार होंगे योग्य शिक्षक- मदन जैड़ा

केंद्र सरकार ने पंडित मदन मोहन मालवीय शिक्षक एवं शिक्षण मिशन के तहत योग्य शिक्षक तैयार करने की योजना तैयार की है। इसके तहत, देश में करीब सौ उच्च स्तरीय शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना होगी। साथ ही शिक्षकों के लिए नए कोर्स शुरू किए जाएंगे। हालांकि, सरकार ने पिछले बजट में इस मिशन को शुरू करने की घोषणा की थी। इसके लिए पांच सौ करोड़ का प्रावधान भी रखा था,...

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धान की देशी किस्‍मों के सुधार में गामा किरणे कारगर

रायपुर (छत्‍तीसगढ़)। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के वैज्ञानिकों ने भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर (बार्क) मुंबई के सहयोग धान की देशी सुगंधित किस्में दुबराज और जवाफूल की नई किस्म विकसित की हैं। गामा किरणों के उपयोग से पारंपरिक देशी किस्मों में काफी सुधार हुआ है। इससे नई किस्मों की ऊंचाई पारंपरिक किस्मों से 40 सेंटीमीटर कम है। इसकी पकने की अवधि 35 से 40 दिन कम हैं और उत्पादन दोगुने से...

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रीयल एस्टेट क्षेत्र को चाहिए आठ करोड़ कुशल कामगार

नई दिल्ली। देश के रीयल एस्टेट और कंस्ट्रक्शन सेक्टर में 2022 तक करीब आठ करोड़ कुशल कामगारों की जरूरत पड़ेगी। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) की रिपोर्ट में यह बात कही गई है। रिपोर्ट कहती है कि भारत में बिल्डिंग, कंस्ट्रक्शन और रीयल एस्टेट सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है। एनएसडीसी ने जिन 24 सेक्टरों का अध्ययन किया है, उनमें इस सेक्टर में 2013-2022 के बीच मानव संसाधन की अधिकतम आवश्यकता...

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सरकार नहीं, समाज गढ़ता है श्रेष्ठ संस्थान- हरिवंश

अमेरिका के जितने भी महान विश्वविद्यालय हैं, उन्हें बनाने के लिए बड़े-बड़े पूंजीपतियों ने अपनी जिंदगी भर की कमाई लगा दी. एक झटके में करोड़ों डॉलर का दान कर दिया. क्या भारत में पैसेवालों की कमी है? नहीं. फिर क्यों यहां ऐसे संस्थान नहीं खड़े होते? क्यों हम लोग हर चीज के लिए सरकार का मुंह देखते रहते हैं. सरकार अपना काम करे, यह जरूरी है. पर समाज और लोगों की...

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