दुनियाभर में प्रति वर्ष 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस का आयोजन किया जाता है. यह मौका एक बार फिर दुनिया का ध्यान एक ऐसी बीमारी की ओर ले जाने का है, जिससे मरनेवाले 95 फीसदी लोग विकासशील देशों से हैं. इस बीमारी से ग्रसित लोगों तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच नहीं होने के चलते अभी भी सालाना तीस लाख से ज्यादा लोगों को बचा पाना एक चुनौती बनी हुई...
More »SEARCH RESULT
बुलंद हौसले के लिए सम्मानित हुईं 21 महिलाएं
जी हां, तमाम बाधाओं को पारकर अपने बुलंद हौसलों से मुकाम हासिल कर समूचे नारी वर्ग के लिए नजीर बनीं देश की 21 महिलाओं को गुरुवार को राष्ट्रीय महिला आयोग ने विभिन्न क्षेत्रों में उनके अतुलनीय योगदान के लिए सम्मानित किया। पश्चिम बंगाल के 24परगना के गांव की नासिमा खातून के हाथ -पैर छह वर्ष की आयु में तेज बुखार से तंत्रिका तंत्र पर असर पड़ने के कारण खराब हो गये...
More »घरेलू कामगार: अर्थव्यवस्था का अंधेरा कोना- जैनेन्द्र कुमार
राजधानी दिल्ली में बीते दिनों एक सांसद और उसकी पत्नी पर आरोप लगा कि उन्होंने अपने घरेलू कामगार को मौत के घाट उतार दिया है. यही नहीं, कुछ पिछड़े राज्यों से देश की राजधानी में आकर घरेलू कामकाज करनेवाली महिलाओं पर अत्याचार की कहानियों से तो हम आये दिन दो-चार हो रहे हैं. क्यों होती हैं ऐसी घटनाएं, देश में घरेलू कामगारों के लिए किस तरह का है माहौल, क्या...
More »सुननी होगी दलितों की आवाज- पत्रलेखा चटर्जी
रामविलास पासवान और उदित राज आजकल सुर्खियों में हैं। वजह यह है कि पासवान ने जहां भारतीय जनता पार्टी के साथ गठजोड़ कर लिया है, वहीं उदित राज ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है। आम चुनाव से ठीक पहले ऐसी घटनाएं लाजिमी हैं। तो आखिर क्या वजह है कि दूसरों के बजाय पासवान और उदित राज ज्यादा चर्चा का विषय बने हुए हैं। दरअसल राजनेताओं की सोच यह है...
More »छोटे राज्यों के बड़े प्रश्न- रोहित जोशी
जनसत्ता 25 फरवरी, 2014 : भारत में राज्यों के पुनर्गठन का प्रश्न नया नहीं है। यह लगातार यक्ष प्रश्न बना रहा है कि आखिर इतने विविधतापूर्ण देश में राज्यों के पुनर्गठन का एक सर्व-स्वीकार्य और जायज तार्किक आधार क्या हो? साथ ही पृथक तेलंगाना का यह विवाद भी नया नहीं है और जितना हो-हल्ला इस मसले पर हमने पिछले दिनों में देखा उसकी एक लंबी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है। 1956 में संसद...
More »