SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 495

‘हिंदी प्रदेश’ की पहचान के मायने- शैबाल गुप्ता

शैबाल गुप्ता जाने-माने अर्थशास्त्री और एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट (आद्री) के सदस्य सचिव हैं. पिछले दिनों इलाहाबाद स्थित गोविंद बल्लभ पंत सोशल साइंस इंस्टीट्यूट ने उन्हें 29वें ‘गोविंद बल्लभ पंत मेमोरियल लेक्चर' में व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया था. इस अवसर पर बोलने के लिए उन्होंने जो विषय चुना, उसका शीर्षक था- ‘आइडिया ऑफ द हिंदी हार्टलैंड'. हिंदी में इसे ‘हिंदी प्रदेश की धारणा' कहा जा सकता है. इस...

More »

यहां रद्दी मिटा रही बेसहारा बच्चों की भूख

सुमेधा पुराणिक चौरसिया, इंदौर। घर के कोने में पड़ी रद्दी भी बच्चे की भूख मिटा सकती है, सुनकर ताज्जुब होगा, लेकिन यह सच है। शहर में अनूठी तरह की समाजसेवा चल रही है, जिसके लिए न तो चंदा मांगा जाता है और न प्रचार किया जाता है। जैन समाज के लोग घर-घर जाकर रद्दी इकट्ठी करते हैं। सालभर में जमा इस रद्दी के बिकने से जमा हुए करीब डेढ़ लाख...

More »

जो कहा, उसका उल्टा कर रहे हैं- देविन्दर शर्मा

आपने इस पर जरूर ध्यान दिया होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के पहले सौ दिन का कामकाज एक बड़ी व्यावसायिक घटना में तब्दील हो गया। संभवतः यह पहला मौका है, जब बड़े मीडिया घरानों ने देशव्यापी सर्वे के लिए मार्केटिंग एजेंसियों को नियुक्त किया। सर्वे के परिणाम अखबारों के पहले पन्ने और टीवी चैनलों पर न केवल प्रकाशित-प्रसारित किए गए, बल्कि पूरे दिन सर्वे रिपोर्टों पर चर्चा...

More »

वे जो आत्महत्या करते हैं..!

गैर-शादीशुदा लोगों में आत्महत्या की प्रवृति विवाहितों की तुलना में ज्यादा होती है - प्रसिद्ध किताब ‘स्यूसाइड’ में एमिल दुर्खाईम का एक निष्कर्ष यह भी था। आत्महत्या का आधार सामाजिक स्थितियों में देखने वाले दुर्खाइम के इस कथन से उनके हमवतन अल्बेयर कामू शायद ही सहमत हों। कामू आत्महत्या को एक “अबूझ दार्शनिक पहेली ” मानते थे। लेकिन बात नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के एक्सीडेंटल डेथ्स एंड स्यूसाइड इन इंडिया नामक...

More »

आप भी शुरू करें अपना रेडियो स्टेशन- आर के नीरद

मित्रों, पिछले अंक में हमने बात कि कैसे आप भी अपना अखबार निकाल सकते हैं और उसके जरिये गांव-पंचायत में बदलाव ला सकते हैं. इस अंक में हम बात कर रहे हैं सामुदायिक रेडियो की. आप जानते हैं कि जब गांवों में अखबार नहीं पहुंचा था, तब रेडियो ही लोगों के मनोरंजन, ज्ञान और सूचना का बड़ा माध्यम था. आज भी वहां रेडियो के कार्यक्रम और समाचार सुने जाते हैं,...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close