नई दिल्ली: पिछले कुल सालों में देश के कई सारे क्षेत्रों में कृषि संकट को लेकर भारी संख्या में किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया. कई बार किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली भी आए. इसी का परिणाम रहा है कि साल 2018 में विभिन्न राज्यों में हुए चुनावों में किसानों की समस्या केंद्र में रही. हालांकि अभी भी किसानों की ये समस्या बनी हुई है कि कैसे उन्हें उनके उपज का...
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कमार आदिवासियों की देसी खेती-- बाबा मायाराम
छत्तीसगढ़ के राजिम-नवापारा में मुझे कुछ समय पहले जाने का मौका मिला। वहां सामाजिक कार्यकर्ता रामगुलाम सिन्हा रहते हैं। उन्होंने मुझे उनकी प्रेरक संस्था के काम को देखने के लिए बुलाया था। वे गरियाबंद के कमार आदिवासियों के बीच में लम्बे समय से काम कर रहे हैं। कमार, आदिम जनजातियों में एक हैं। जो अब भी उनकी पारंपरिक जीवनशैली के करीब हैं और निर्धन हैं। यह आदिवासी गरियाबंद, छुरा और...
More »समस्या की अनदेखी करते समाधान-- हिमांशु
छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत ने कृषि संकट को राजनीतिक बहस के केंद्र में ला दिया है। इस चुनावी जीत के निश्चय ही कई कारक थे, लेकिन खेतिहरों की दुश्वारियां इन सबमें प्रमुख थीं। यह माना जाता है कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी कृषि संकट को लेकर उदासीन रही है, बल्कि कुछ हद तक उसने इसे बढ़ाया ही है, लेकिन वास्तव में इस...
More »कृषि ऋण माफी को चुनावी वादों का हिस्सा न बनाएं: राजन
देश के 13 अर्थशात्रियों द्वारा तैयार एक रपट में कहा गया है कि ऋण माफी से बचा जाना चाहिए, क्योंकि इससे देश में निवेश के लिए आवश्यक संसाधन दूसरी तरफ चला जाता है। यह रपट शुक्रवार को जारी की गई। रपट के लेखकों में आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन भी शामिल हैं। 'एन इकॉनॉमिक स्ट्रैटजी फॉर इंडिया' नामक रपट को जारी करते हुए राजन ने कहा कि कृषिण ऋण...
More »किसानों की नाराजगी का नतीजा-- नीरजा चौधरी
पांच राज्यों के चुनावी नतीजों ने किसानों को फिर से राजनीति के केंद्र में ला दिया है। संदेश साफ है कि खेती-किसानी के हित में हमारे नेताओं को अब गंभीरता से सोचना ही होगा। जनादेश बता रहा है कि लोग अब अपनी जरूरतों को अहमियत देने लगे हैं। खासतौर से नौकरी और आमदनी उनके लिए महत्वपूर्ण सवाल बनकर उभरे हैं। इसीलिए चुनावों में उन्होंने अन्य सभी ‘इमोशनल' मुद्दों को किनारे...
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