गरीबी में लगातार कमी के चलते भारत अब दुनिया में सबसे बड़ी गरीब आबादी वाला देश नहीं रहा है. अमेरिका के शोध संस्थान ब्रूंिकग्स ने अपने एक अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला है. फर्म के ब्लाग में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार 2018 की शुरुआत में ही, अत्यधिक गरीबी में जीवन यापन कर रही सबसे बड़ी आबादी के लिहाज से नाइजीरिया, भारत से आगे निकल गया. यही नहीं, कांगो जल्द...
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50 करोड़ लोग सामाजिक सुरक्षा बीमा से जुड़े: नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को दावा किया कि देश के 50 करोड़ लोग सामाजिक सुरक्षा बीमा के दायरे में आते हैं, जो 2014 के आंकड़ों के मुकाबले 10 गुना अधिक हैं. नरेंद्र मोदी एप (नमो) पर वीडियो कान्फ्रेसिंग के जरिए विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लाभार्थियों से बात करने के दौरान मोदी ने यह भी कहा कि 20 करोड़ से अधिक लोगों ने इसका लाभ उठाया है और वह...
More »आयुष्मान भारत : सतर्कता जरूरी
वर्ष 2018-19 के वित्त वर्ष के लिए बजट में जब वित्तमंत्री ने यह घोषणा की कि 10 करोड़ परिवारों यानी 50 करोड़ लोगों के स्वास्थ्य पर आनेवाले खर्च के लिए पांच लाख रुपये तक के खर्च को सरकार वहन करेगी, तो यह एक सपने जैसा प्रतीत हुआ था. बजट भाषण में वित्तमंत्री ने ‘आयुष्मान भारत' योजना का जिक्र किया था, जिसके अंतर्गत दो प्रकार की स्वास्थ्य योजनाओं की घोषणा हुई...
More »मजदूर दिवस पर बोले ज्यां द्रेज़- NREGA को जिंदा रखने के लिए मजदूरी दर बढ़ाना जरूरी
मजदूर दिवस यानी मे डे के मौके पर सरकार कई दावे कर रही है. सरकारी आंकड़ों में कहा जा रहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था उच्च दर से बढ़ रही है. लेकिन, जाने-माने अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज़ इससे इत्तेफाक नहीं रखते. उनका मानना है कि वास्तव में विकास की दर नहीं, बल्कि लोगों के जीवन स्तर में सुधार यह तय करती है कि देश कितनी तरक्की कर रहा है. ज्यां द्रेज़ सोनिया...
More »लैंगिक भेदभाव से मर जाती हैं सालाना सवा दो लाख से ज्यादा बेटियां- नई रिपोर्ट
बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ के नारे वाले भारत में अनुमान लगाइए कि सिर्फ लैंगिक भेदभाव के कारण सालाना कितनी बच्चियों की जान जाती है ? सिर्फ लड़की होने के कारण जिनसे बड़े चुप्पे ढंग से जिंदगी छीन ली जाती है उनकी तादाद हजार-दस हजार तक सीमित नहीं बल्कि ये आंकड़ा आगे बढ़कर लाखों तक पहुंचता है. प्रतिष्ठित जर्नल लैंसेट में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक भारत में हर साल लैंगिक भेदभाव के कारण...
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