अगर चंपारण और रूस की क्रांति के लिए प्रसिद्ध 1917 देश और दुनिया में संभावनाएं खुलने का वर्ष था, तो 2017 देश और दुनिया के सिकुड़ने का साल माना जायेगा. यह साल संभावनाओं के सिकुड़ने का साल था और संवेदनाओं के सिमटने का साल था. बीते साल में भाजपा का विस्तार और लोकतंत्र का पराभव जारी रहा. भाजपा चुनाव भी जीती और राजनीति के खेल भी. उत्तर प्रदेश में...
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भूख के स्थायी समाधान की तलाश-- जयंतीलाल भंडारी
इस समय पूरी दुनिया यह देख रही है कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के तहत खाद्य सुरक्षा और भूख के मुद्दे पर भारत अमेरिका सहित विकसित देशों से एक नई न्यायोचित लड़ाई की अगुआई कर रहा है। भारत की ओर से कहा कहा गया है कि डब्ल्यूटीओ के 11वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर वार्ता भले ही विफल हो गई, इसलिए वह खाद्य सुरक्षा और कृषि संबंधी अन्य...
More »ताकि बची रहें नदियां-- पत्रलेखा चटर्जी
दुनिया के सबसे प्रसिद्ध पर्यावरणविदों में से एक और दिल्ली स्थित विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र (सीएसई) की महानिदेशक सुनीता नारायण जीवंत किंवदंतियों में से एक हैं। हाल ही में सुनीता नारायण से मेरी मुलाकात हुई, हालांकि मैं उन्हें बीती सदी के नब्बे के दशक से ही जानती हूं। सुनीता नारायण की नई किताब कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट हाल ही में प्रकाशित हुई हैं, जिसमें भारत के हरित आंदोलन के माध्यम से...
More »सालभर पहले थी तंगी, अब 35 महिलाओं ने छोड़े बीपीएल कार्ड
विवेक पाराशर, बड़वानी। मातृ शक्ति जब कुछ करने का ठान लेती है तो बाधाएं दूर भागते देर नहीं लगती। जिले की आर्थिक रूप से कमजोर 10 महिलाओं ने एक समूह बनाकर सिलाई और अन्य काम शुरू किया। काम शुरू हुआ और रोज 75 रुपए आय होने लगी। चार साल में सबकी मेहनत और लगन ने ऐसा कमाल दिखाया कि अब हर सदस्य 15 से 30 हजार रुपए महीने कमा रही...
More »कृषि संकट के बीच उम्मीद की नई कोपलें - देविंदर शर्मा
नए वर्ष की तरफ बढ़ते हुए कुछ ऐसे कदमों से शुरुआत करते हैं, जो कृषि के क्षेत्र में छोटी ही सही, लेकिन उम्मीद बंध्ााते हैं। हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि वह किसानों को मुफ्त में कृषि आदान जैसे बीज और फर्टिलाइजर वगैरह देगी ताकि लागत कम हो सके। मध्य प्रदेश में भावांतर योजना आरंभ हुई ताकि किसानों को समर्थन मूल्य व उनके विक्रय मूल्य के अंतर...
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