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गौरी लंकेश की हत्या किसने की?-- योगेन्द्र यादव

जबसे उनकी कायराना हत्या की खबर आयी, तबसे बार-बार यह सवाल पूछ रहा हूं. किसी मौत पर हमारी प्रातिक्रिया इस पर निर्भर करती है कि हम मृतक से कितना नजदीकी महसूस करते हैं. यह जरूरी नहीं कि हम मृतक को जानते हों. जिस सड़क से हम रोज गुजरते हैं, जिस ट्रेन से हम रोज सफर करते हैं, उस पर होनेवाले हादसे हमें गहराई से छूते हैं. 'इसकी जगह मैं हो...

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कौन थीं ‘फायर ब्रांड’ पत्रकार गौरी लंकेश, जिनके तर्कवादी विचार ने बना दिये उनके दुश्मन?

बेंगलुरु : बेंगलुरु में मंगलवार रात ‘फायर ब्रांड' पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या कर दी गयी. उनकी हत्या उनके आवास के बाहर हुई. गौरी लंकेश की पहचान एक व्यवस्था विरोधी पत्रकार की थी, जो गरीबों और दलितों की हितैषी थीं. साथ ही उन्हें हिंदुत्वादी राजनीति का कट्टर विरोधी माना जाता था. कन्नड़ पत्रकारिता में कुछ महिला संपादकों में शामिल गौरी प्रखर कार्यकर्ता थीं जो नक्सल समर्थक थीं और वामपंथी विचारों...

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आधार के प्रयोग को रोकना उचित नहीं-- हरिवंश

यह बौद्धिक विमर्श और संवाद अपनी जगह है, पर बिचौलियों और भ्रष्टाचार को खत्म करना आज समाज की निगाह में व्यवस्था का सबसे प्रासंगिक और जरूरी मसला नहीं है? हाल ही में एक डच दार्शनिक विचारक व इतिहासकार रटजर बर्जमैन की महत्वपूर्ण किताब आयी है, ‘यूटोपिया फॉर रिअलिस्ट्स' (ब्लूम्सबेरी). यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेस्टसेलर मानी गयी है. इस पुस्तक का मर्म है कि हम एक अप्रत्याशित उथल-पुथल के दौर में...

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पुणे की महिला को SC ने दी 24 हफ्तों के भ्रूण को गिराने की अनुमति

नई दिल्ली। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए पुणे की एक 20 वर्षीय महिला को उसका 24 हफ्ते का भ्रूण गिराने की अनुमति दे दी है। अदालत ने यह अनुमति शहर के बीजे अस्पताल की उस रिपोर्ट के आधार पर दी है जिसमें महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे को अविकसित बताया गया है। अस्पताल के डॉक्टरों ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि महिला के...

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औरतों की आजादी का कारवां-- शशिशेखर

तीन तलाक को जो लोग महज मुस्लिम हक-हुकूक का मुद्दा बनाने पर आमादा हैं, उनसे अनुरोध है कि एक बार वे अपनी हिन्दुस्तानी परंपरा में झांक देखें, उनकी सारी शंकाओं का समाधान मिल जाएगा। जन-जागरण और बदलाव हमारे देश में रवायत रही है। परिवर्तन की यह अनवरत कामना भले ही कभी-कदा अदालत अथवा हुकूमत के जरिए आकार लेती दिखाई पडे़, पर मूलत: भारतीय समाज आत्मालोचन के जरिए आगे बढ़ने का अभ्यस्त...

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