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हर किसी के हिस्से है मुट्ठी भर आसमान-पुष्यमित्र

दुमका की वंदना के पास जन्म से ही पूर्ण विकसित हाथ नहीं हैं, मगर उसके दोनों पैर न सिर्फ दुनिया में रंग बिखेर रहे हैं बल्कि वह इन्हें पैरों से कंप्यूटर ऑपरेटर की नौकरी कर अपना जीवन भी चला रही है. जमशेदपुर की रंजू नेत्रहीन है, लिखित परीक्षा पास करने के बावजूद झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन ने उसे अधिकारिक स्तर की नौकरी के काबिल नहीं समझा था. मगर आरटीआइ के जरिये...

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किले में सोना और स्विस बैंक में काला धन!- विनीत नारायण

इन दिनों भूगर्भ विभाग और भारतीय पुरात्तव विभाग उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में खुदाई में जुटे हैं। इसमें कोई नई बात नहीं। नई बात यह है कि इस खुदाई को लेकर पूरी दुनिया के मीडिया की निगाह उन्नाव पर लगी है। पीएसी खुदाई स्थल को घेरे खड़ी है। जनता कौतुहल भरी निगाहों से वहां पहुंच रही है। पीपली लाइव की तरह वहां बाजार लग गया है। यह सारा तूफान सोने...

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प्रज्ञा केंद्र से महीने में 90 हजार कमा रहे राकेश

वीएल राकेश कहते हैं कि जल्द ही उनके प्रखंड में इ-नागरिक, मनरेगा का एमआइएस इंट्री, बायोमीट्रिक राशन कार्ड, वोटर कार्ड, पेन कार्ड, पासपोर्ट, इ-मुलाकात आदि सेवा शुरू हो जायेगी.  प्रज्ञा केंद्र के उद्देश्यों में नागरिक, सरकार और वीएलक्ष् तीनों का लाभ निहित है.  पीपीपी मॉडल की इस योजना के जरिये सरकार कैसे गांवों में लोगों को ई-गवर्नेस सेवा प्रदान करने के साथ-साथ एक उद्यमी भी तैयार करने में लगी है. ...

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खनन से किसका हित, मिल कर सोचें- ।।किशन पटनायक।।

बिक्री लायक पदार्थो को ‘पण्य’(माल) कहा जाता है और उनके संग्रह को ‘संपत्ति’. आधुनिक समाज में संपत्ति को मूल्यों (रुपयों) में आंका जाता है. मैं अगर करोड़पति हूं, तो मेरी संपत्ति का मूल्य करोड़ों रुपयों में है. दुनिया में जितनी भी संपत्ति है, उनके मूल में हैं प्राकृतिक संसाधन. मेहनत, बुद्धि और मशीनों के द्वारा प्राकृतिक संसाधनों से विभिन्न पण्य वस्तुओं को बनाया जाता है. मशीनें भी खनिज धातु यानी प्राकृतिक...

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फेरीवालों को सम्मान का हक है- सुधांशु रंजन

दैनिक जरूरतों की वस्तुएं घर के निकट उपलब्ध करानेवाले मेहनतकशों का हर दिन असुरक्षा और अपमान के बीच बीतता है. उनके दु:ख-दर्द को देखते हुए उनके हकों को कानूनी जामा पहनाने का एक क्रांतिकारी कदम उठाया गया है. भारत में 90 फीसदी से अधिक लोग असंगठित क्षेत्रों में काम करते हैं. उनकी कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं होती. इनमें एक बड़ा वर्ग फेरीवालों का है, जो सड़कों के किनारे और गलियों में...

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