महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में किसान उग्र हो गए हैं। दोनों राज्यों में किसान आंदोलन हिंसक हो गया। मध्यप्रदेश में पुलिस फायरिंग में छह किसानों की मौत हो गई। यह घटना पूरे देश के लिए चेतावनी है क्योंकि किसानों ने अब शांतिपूर्वक आंदोलन के बजाय हिंसक रास्ता अख्तियार कर लिया है। कर्ज के बोझ तले दबे किसान फसलों की संतोषजनक कीमत न मिलने के कारण सड़कों पर उतर आए। सरकार की...
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प्रचारों पर टिकीं उपलब्धियां-- पवन कुमार वर्मा
संसार की सच्चाइयों के परे, क्या कहीं प्रचार-प्रसार की कोई सीमा भी है? क्या सभी चीजें उनकी वास्तविकताओं में नहीं, वरन उनकी प्रस्तुति में ही परखी जा सकती हैं? क्या सत्य स्व-विज्ञापन के वाष्प से सृजित एक मरीचिका मात्र है? या कि यदि विज्ञापन अपने दावे के अतिरेक की वजह से वास्तविकता से बहुत विलग हो जाये, तो वह स्व-विनाशक भी हो उठता है? हमारी वर्तमान सरकार प्रचार की जिस...
More »रोजी बनाम राम- एकै साधे सब सधे--- मुकेश भारद्वाज
सरकार के हर मंच से नोटबंदी को सही बताने के बाद 2016-17 की चौथी तिमाही के आंकड़े बताते हैं कि सकल घरेलू उत्पाद दर घट कर 7.1 से 6.1 फीसद पर आ गई। बाजार में तरलता की कमी से मांग घटी और छोटे कारोबारियों की कमर टूट गई। अब जबकि जीएसटी के अमल का समय नजदीक आ रहा है, सरकार जमीनी सच्चाई को नकारते हुए कमजोर अर्थव्यवस्था का ठीकरा...
More »मवेशी अर्थव्यवस्था पर असर-- रिचर्ड महापात्रा
पशु मंडियों से मवेशियों की खरीद-फरोख्त के बाद मांस के लिए उन्हें काटे जाने को लेकर केंद्र सरकार ने नये नियम बनाये हैं. मद्रास हाइकोर्ट ने सरकार के इस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसके बाद इस मुद्दे पर बहस शुरू हो गयी है. नियम-कानून होने चाहिए, लेकिन सवाल यह है कि नये कानून से मवेशी अर्थव्यवस्था (लाइवस्टॉक इकोनॉमी) पर क्या असर पड़ेगा? इसे समझना होगा, क्योंकि यह सच...
More »बढ़ती महामारियों के दौर में-- डा. ए के अरुण
विगत कुछ वर्षों से विवादास्पद व खतरनाक किस्म के वायरस से होनेवाली बीमारियों के महामारी बनने की चर्चा ज्यादा हो रही है. कहा जा रहा है कि विगत 30 वर्षों में 30 से ज्यादा नये-पुराने वायरस घातक बन कर मानव दुनिया के लिए खतरा बन चुके हैं. इन दिनों ‘जीका' वायरस चर्चा में है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने वैसे तो इस वायरस को लेकर इमरजेंसी एलर्ट जारी किया था,...
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