केंद्र सरकार ने बीमा कंपनियों को बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि में बर्बाद हुई फसलों के बीमा दावे का निपटारा 45 दिन में करने का निर्देश दिया है, जिससे किसानों को जल्द राहत पहुंचाई जा सके। लेकिन देश के 80 फीसदी किसान फसल बीमा योजना के दायरे से बाहर हैं। इसलिए उन्हें आर्थिक लाभ नहीं मिलेगा। किसानों की इस दुर्दशा के लिए बीमा दावे के नियम व राज्य सरकारें जिम्मेदार हैं। कृषि...
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जंगल के दावेदारों पर मंडराता खतरा - के सी त्यागी
भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के बाद अब आदिवासियों और जंगलों का मामला विवाद में है। ग्राम सभा की सहमति को, जो वन अधिकार कानून के अंतर्गत अनिवार्य है, समाप्त करने के संकेत मिल रहे हैं। संसद के इसी सत्र में यह प्रस्ताव लाया जा रहा है। जिन्हें हम आज अनुसूचित जातियों के अंतर्गत गिनते हैं, उन आदिवासियों की दशा अंग्रेजों के आगमन के समय से ही दयनीय हो चली थी। अंग्रेज...
More »चीनी मिल की हेराफेरी से उड़े किसानों के होश
उत्तम शुगर मिल प्रबंधन ने किसानों को गन्ना मूल्य भुगतान करने का नया तरीका अपनाया है। मिल ने किसानों की जमीनों को बैंक में गिरवी रखना शुरू कर दिया है। आर्थिक रूप से कमजोर किसानों से कृषि फार्म फरवाया जा रहा है। जिसके आधार पर किसान की जमीन बैंक में गिरवी रखी जा रही है। इस जमीन पर मिला हुआ ऋण किसान को गन्ना भुगतान के रूप में दिया जा रहा...
More »शक्ल ही भद्दी हो तो आईना क्या करे? - शरद यादव
नैतिकता, स्त्री-पुरुष संबंधों और स्त्री से जुड़े तमाम सवालों को लेकर हमारे सामाजिक और राजनीतिक जीवन में खासकर खाए-अघाए तबके में पाखंड इस कदर हावी है कि वह अपनी तमाम कुंठाओं को तरह-तरह से छुपाता है और सच का या कड़वे सवालों का सामना करने से कतराता और घबराता है। इसलिए 'नईदुनिया" के 18 मार्च के अंक में श्री अमूल्य गांगुली ने मेरी आलोचना करते हुए जो लेख लिखा, उससे...
More »भूमि-अधिग्रहण पर महाभारत- दिनेश त्रिवेदी
वर्ष 1989 में जब वीपी सिंह के नेतृत्व में राष्ट्रीय मोर्चा सरकार सत्ता में आई थी तो उससे काफी उम्मीदें थीं। सरकार से आम लोगों की बहुत सारी अपेक्षाएं जुडी थीं। सामान्य धारणा यही थी कि वह लंबे अरसे तक सत्ता में बनी रहेगी, लेकिन यह सपना एक वर्ष में ही बिखरने लगा। मंडल आयोग का मुद्दा राष्ट्रीय मोर्चा सरकार के लिए वाटरलू साबित हुआ और अंतत: सरकार धराशायी हो...
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