नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। दालों के आयात के लिए 5000 करोड़ रुपये और दलहन खेती के लिए औसतन सालाना केवल 500 करोड़ रुपये। समझा जा सकता है कि दालों की पैदावार क्यों नहीं बढ़ रही है। पिछले चार सालों में सरकार ने जितना धन दलहन की खेती के प्रोत्साहन के लिए दिया है, उससे दोगुना हर साल दालों के आयात पर खर्च होता है। जब खेती बेहतर करने में...
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जैविक कृषि पद्धति अपनाने का आह्वान
शिमला : किसानों को अब परंपरागत खेती की ओर मुड़ना ही होगा। यदि समय रहते किसानों ने पुरानी कृषि पद्धति को नहीं अपनाया तो भविष्य में इसके भयावह परिणाम भुगतने होंगे। कृषि पद्धति ही नहीं किसानों को खेती में विविधता भी लानी होगी क्योंकि अधिक रसायन के प्रयोग के कारण हिमाचल की मिट्टी से पोषक तत्व खत्म होते जा रहे हैं। विकसित देश अब भारत में की जाने वाली परपंरागत कृषि...
More »होटलों में मिलेंगे जैविक उत्पाद : धूमल
शिमला : मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि अब हिमाचल प्रदेश पर्यटन निगम (एचपीटीडीसी) अपने होटलों में जैविक भोजन व अन्य जैविक उत्पाद उपलब्ध कराएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जैविक खेती को विशेष प्राथमिकता प्रदान कर रही है। किसानों को पारंपरिक जैविक कृषि पद्धति अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है जिससे उन्हें आर्थिक लाभ के साथ-साथ घर-द्वार पर रोजगार व स्वरोजगार के अवसर भी मिलेंगे। मुख्यमंत्री वीरवार को इंदिरा गांधी खेल परिसर...
More »आगे बढ़ रहा है मानसून
नई दिल्ली। दक्षिण पश्चिमी मानसून गुरुवार को दक्षिणी कोंकण, गोवा और कर्नाटक के अधिकतर भागों की ओर बढ़ गया है, जिससे अगले हफ्ते की शुरुआत में इसके और मजबूत होने की संभावना है। मौसम विभाग के अनुसार पश्चिमी तट के अधिकतर भागों और दक्षिणी प्रायद्वीप के अंदरूनी भागों में बुधवार से अच्छी बारिश हो रही है और अगले दो दिन तक इसके जारी रहने का अनुमान है। अनुमान है कि...
More »किसान मरे नहीं तो क्या करे--- देविंदर शर्मा
भारत में किसानों की आत्महत्या को लेकर छिड़ी बहस के बीच अमरीका में किसानों को अनुदान दिए जाने के बारे में एक दिलचस्प रिपोर्ट आई. 1997 से 2008 के बीच भारत में करीब दो लाख किसानों ने बढ़ते कर्ज के कारण होने वाले अपमान से बचने के लिए अपनी जान देने का आत्मघाती कदम उठाया. इन किसानों को सरकार से किसी प्रकार की सीधी सहायता नहीं मिली थी. अमरीका ने 1995...
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