जनसत्ता 15 नवंबर, 2013 : तेरह साल पहले झारखंड राज्य का गठन हुआ था। झारखंड आंदोलन की काट में वनांचल आंदोलन खड़ा करने वाली भाजपा ने झारखंड राज्य का गठन क्यों किया, इसको लेकर अलग-अलग धारणाएं हैं। कुछ लोगों का मानना है कि अविभाजित बिहार की सत्ता पर काबिज होने की कोशिशों में विफल होने के बाद भाजपा ने अपने प्रभाव वाले इलाके की सत्ता पर काबिज होने की मंशा...
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हेमंत ने ममता बनर्जी को लिखा पत्र, कहा झारखंड भी सब्जियां उगाता है दीदी
रांची: पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से आलू की आपूर्ति रोके जाने को झारखंड सरकार ने गंभीरता से लिया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखा है. पत्र में मुख्यमंत्री ने ममता बनर्जी को ममता दीदी कह कर संबोधित किया है. लिखा है कि झारखंड में बड़े पैमाने पर फूलगोभी, गाजर, फ्रेंच बीन, टमाटर आदि सब्जियों की खेती होती है. झारखंड के किसान...
More »मजबूरी में पलायन करते हैं झारखंडवासी
इटली, मलेशिया, चीन और अब साउथ कोरिया में जनसंख्या और पलायन जैसे विषय पर शोधपत्र प्रस्तुत कर चुके कुणाल केसरी झारखंड के लोहरदगा जिले के रहने वाले हैं. वे इंटरनेशलन इंस्टीटय़ूट फोर पॉपुलशन साइंस मुंबई के सीनियर रिसर्च फेलो रह चुके हैं और फिलहाल मौसमी पलायना पर पीएचडी कर रहे हैं. वे झारखंड छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तरप्रदेश में हर साल होने वाले मौसमी पलायन पर रिसर्च कर रहे हैं....
More »नये भूमिअधिग्रहण कानून, जनआंदोलन और उनकी राजनीति का असर पर दो दिवसीय बैठक
निमंत्रण नये भूमिअधिग्रहण कानून, जनआंदोलन और उनकी राजनीति का असर पर दो दिवसीय बैठक नवंबर 19-20-2013 9ः30 प्रातः से सांय 6ः00 बजे तक, गांधी शांति प्रतिष्ठान, दीन दयाल उपाध्याय मार्ग, नई दिल्ली प्रिय साथियों, जिंदाबाद जनआंदोलनांे के बरसों चले लम्बे संघर्ष के बाद देश में औपनिवेशिक भूमि अधिग्रहण कानून, 1894 के स्थान पर ‘‘उचित मुआवजे का अधिकार, भूमिअधिग्रहण में पारदर्शिता, पुनर्वास और पुर्नस्थापना कानून, 2013‘‘ आया है। आम चुनाव व विधानसभा चुनाव कई राज्यों में होने वाले...
More »जड़ों से पलायन की पीड़ा को समझिए- राजीव वोरा
तुलसी सिंह के गांव छोड़ने का दर्द मेरी ताजा बिहार यात्रा की भेंट है. बिहार के माओवादी कहलाते बांका जिले के चांदन प्रखंड स्थित फुलहरा गांव का तुलसी इलाके में हिंद स्वराज शिविरों-बैठकों में न केवल आगे बैठ हर बात को समझ कर नोट करता था, बल्कि अच्छे सवाल भी करता था. आम आदिवासियों की तरह निश्छल आंखें, ईमानदार, बुद्धिमान और सेवाभावी. मैंने उसमें वह तड़प देखी थी, जो अपने आसपास की बदहाली,...
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