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झारखंडी बालिका वधु ने बदला माहौल- पंकज कुमार पाठक

रांची के एक गांव की मीना ( बदला हुआ नाम) का विवाह बचपन में ही हो गया था. बाल विवाह की शिकार हुई मीना को जब यह एहसास हुआ कि उसके साथ क्या हुआ है, तो उसने समाज की इस कुप्रथा से लड़ने का निर्णय लिया. मीना का यह फैसला इतना आसान नहीं था. मुश्किलों का सामना करते हुए वह ससुराल से अपने घर  वापस आ गयी. अभी मीना 10वीं की...

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स्त्री उत्पीड़न की जड़ें- विकास नारायण राय

जनसत्ता 23 अक्तूबर, 2013 : उत्पीड़न के साए में दिल्ली विश्वविद्यालय के आंबेडकर कॉलेज की कर्मचारी की आत्महत्या, महिला सशक्तीकरण को मात्र यौनिक सुरक्षा के चश्मे से देखने के प्रति गंभीर चेतावनी है। सभी मानेंगे कि देश की राजधानी के एक बड़े शिक्षा संस्थान के इस प्रचारित प्रकरण के चार वर्ष तक खिंचने की जरूरत नहीं थी, और इसका अंत न्याय में होना चाहिए था, न कि आत्महत्या में। काश,...

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आम आदमी और उसका राजनीतिक प्रयोग- गिरिराज किशोर

जनसत्ता 24 अक्तूबर, 2013 : आजादी के बाद एक प्रयोग डॉ राममनोहर लोहिया ने राज्यों में संविद सरकार बनवाने का किया था, जो सफल भी रहा। इसका कारण था, उन्होंने सरकारों के लिए कुछ मानक तय किए थे। उदाहरण के लिए, जब थानू पिल्लै की सरकार ने छात्रों पर गोली चलाई गई तो उन्होंने सरकार से त्यागपत्र देने को कहा। इस पर मतभेद हो गया। लेकिन वे इस सिद्धांत पर...

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पश्चिम मिदनापुर में बाल विवाह मेलों में आ रही है भारी भीड़

कोलकाता : त्योहारों के मौसम में अलग अलग तरह के मेले लगना आम बात है लेकिन बाल विवाह के गैरकानूनी होने के बावजूद जनजातीय पश्चिम मिदनापुर में बाल विवाह मेले आयोजित किए जाते हैं जहां बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ आती है. महिला अधिकारों के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन ‘सुचेतना’ की रिपोर्ट के अनुसार जनजातीय बाल विवाह के ऐसे मेले उत्सवों के इस मौसम में हर वर्ष...

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चालीस करोड़ औरतों का हौसला- सुभाषिनी अली

अभी कुछ दिनों पहले देश के सर्वोच्च निर्वाचित पद के एक प्रत्याशी ने इस पर खेद प्रकट किया कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने हमारे प्रधानमंत्री को देहाती औरत कहकर उनका अपमान किया है। अब इस बात की सफाई दी जा चुकी है कि नवाज शरीफ ने ऐसा नहीं कहा, लेकिन अभी तक इसकी सफाई नहीं दी गई है कि प्रत्याशी जी देहाती औरत शब्द को अपमानजनक क्यों मानते हैं। देश की चालीस करोड़...

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