राइट टू इनफॉरमेशन एक्ट के अंतर्गत दी हुई सूचना के अनुसार, तीन करोड़ मुकदमे भारत के न्यायालयों में विचाराधीन हैं. इनमें 30 लाख मुकदमे 21 हाइकोर्ट में और 39780 मुकदमे सुप्रीम कोर्ट में हैं. ऐसी परिस्थिति में भ्रष्टाचार स्वाभाविक है. भ्रष्टाचार की जड़ें अनिर्णित न्यायिक व्यवस्था में निहित हैं. किसी भी भ्रष्टाचारी को वर्तमान न्यायालयों की कार्यप्रणाली में सजा दिलाना असंभव सा है. इसी से भ्रष्टाचार को प्रोत्साहन मिलता है. न्यायालयों पर...
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बाबा के आंदोलन के मुद्दे- वेदप्रताप वैदिक
भ्रष्टाचार के विरुद्ध बाबा रामदेव जो मोर्चा लगा रहे हैं, वह एक बेमिसाल घटना होगी। यदि दिल्ली में एक लाख और देश में एक करोड़ से भी ज्यादा लोग अनशन पर बैठेंगे तो इसके मुकाबले की घटना हम कहां ढूंढेंगे? यह सबसे बड़ा अहिंसक सत्याग्रह होगा। इसका उद्देश्य जनता व शासन दोनों को भ्रष्टाचार के विरुद्ध कटिबद्ध करना है। यदि आंदोलन सिर्फ सरकार के विरुद्ध होता तो उसे शुद्ध राजनीति माना जाता, लेकिन...
More »जन्म से बंधी सामाजिक बेड़ियां : हर्ष मंदर
लाखों महिलाएं, पुरुष और बच्चे आज भी उन अपमानजनक सामाजिक बेड़ियों में बंधे हुए हैं, जो उनके जन्म से ही उन पर लाद दी गई थीं। आधुनिकता की लहर के बावजूद आज भी भारत के दूरदराज के देहातों में जाति व्यवस्था जीवित है। यह वह व्यवस्था है, जो किसी व्यक्ति के जाति विशेष में जन्म लेने के आधार पर ही उसके कार्य की प्रकृति या उसके रोजगार का निर्धारण कर...
More »पंजाब सरकार देगी आरटीआई कार्यकर्ताओं को सिक्योरिटी : ललित कुमार
चंडीगढ़। पंजाब सरकार ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी हासिल करने वालों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पॉलिसी तैयार की है। इस संबंध में हाईकोर्ट में विचाराधीन एक याचिका के जवाब में पंजाब सरकार ने पॉलिसी की प्रति अदालत में पेश की। हरियाणा सरकार व चंडीगढ़ प्रशासन की तरफ से समय दिए जाने की मांग पर कार्यवाहक चीफ जस्टिस आदर्श कुमार गोयल व जस्टिस अजय कुमार मित्तल की खंडपीठ...
More »असंगति का संगीत- रोहिणी मोहन
कुछ मामलों में एक जैसे और ज्यादातर मामलों में एक-दूसरे से जुदा शांति और प्रशांत भूषण के छुए-अनछुए पहलुओं की पड़ताल करती रोहिणी मोहन की रिपोर्ट मई, 1995 की एक दोपहर को सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु ठक्कर अपने वकीलों प्रशांत और शांति भूषण के साथ सर्वोच्च न्यायालय में बैठे हुए थे. उनसे जरा-सी दूरी पर मुख्य न्यायाधीश एएस आनंद एक ऐसा फैसला सुना रहे थे जो पूर्वी गुजरात के कम से कम...
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