लखनऊ . बारिश कराने के लिए मशहूर अषाढ़ महीना बीतने में चार दिन बाकी है और उप्र के खेतों में धूल उड़ रही है। बड़े हिस्से में पानी की बूंद भी नही टपकी है। पिछले साल अषाढ़ में 169.7 मिमी वर्षा हुई जबकि इस बार अब तक महज 15.9 मिमी बारिश हुई है। राज्य के पूर्वी हिस्से में बेहद मामूली बारिश दर्ज की गई है। प्रदेश के लिए मानसून की...
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यही हालात रहे तो सड़ जाएगा गेहूं
सोनीपत. किसानों ने अथक प्रयास किया और प्रकृति ने साथ दिया। इससे गेहूं की बंपर पैदावार हुई। सरकारी एजेंसियों ने खरीद भी की। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार करीब 32 फीसदी अधिक गेहूं खरीदा गया। इससे सरकारी गोदाम ही नहीं खुले में गेहूं रखने के लिए बनाए गए स्टॉक सेंटर फुल होने से जिले की मंडियों में भी खुले में लाखों टन गेहूं स्टोर किया गया है, लेकिन...
More »बर्बादी की वजह बनते बीज- जाहिद खान
बीज खेती की बुनियाद है और अच्छे बीज, अच्छी खेती की जमानत। पर ये बीज ही आज किसानों को खून के आंसू रूला रहे हैं। हाल के सालों में ऐसे कई मामले सामने निकलकर आए हैं, जब बीज किसानों की बर्बादी की वजह बने। किसान अधिक पैदावार की लालच में संकर और जीएम बीजों का इस्तेमाल करते हैं और बाद में सिर्फ छले जाते हैं। हैरत की बात यह है...
More »गरीबी, खाद्य सुरक्षा और कैश ट्रांसफर- रितिका खेड़ा
कुछ महीने पहले योजना आयोग की गरीबी रेखा पर काफी चर्चा हुई हैं. उच्चतम न्यायलय में दायर हलफनामे में योजना आयोग ने कहा कि 2011 की सरकार की गरीबी रेखा- ग्रामीण क्षेत्रों में 26 रुपए और शहरी क्षेत्रों में 32 रुपए- जीवनयापन यानी खाना, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त है. आज से पहले किसी भी सरकार ने यह दावा नहीं किया कि गरीबी रेखा जीवन बिताने के लिए पर्याप्त...
More »सड़कों पर पलते कल के सपने : हर्ष मंदर
बीसवीं सदी के शुरुआती दशकों में भारत पर राज कर रही औपनिवेशिक ब्रिटिश सरकार ने सबसे पहले यह स्वीकारा था कि अनाथ और निराश्रित बच्चों व किशोरों की देखभाल करना सरकार की कानूनी जिम्मेदारी है। लेकिन भारत को लोकतांत्रिक स्वाधीनता मिलने के छह दशक बीतने के बावजूद इस तरह के बच्चों और किशोरों के हित में अधिक से अधिक यही किया जा सका है कि उन्हें कारागृह जैसी राज्यशासी संस्थाओं में भेज...
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