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फरवरी-मार्च में कोविड-19 संक्रमण के मामलों में हो रही थी वृद्धि लेकिन टास्कफोर्स ने नहीं की बैठक

-कारवां, भले ही भारत महामारी की सबसे बुरी मार झेल रहा है लेकिन कोविड-19 के लिए बनाए गए राष्ट्रीय वैज्ञानिक कार्यबल या टास्कफोर्स ने फरवरी और मार्च में एक भी बैठक नहीं की. टास्कफोर्स का काम महामारी की रोकथाम के प्रयासों पर केंद्र सरकार को सलाह देना है. राष्ट्रीय वैज्ञानिक टास्कफोर्स के दो सदस्यों, जो देश के प्रमुख वैज्ञानिकों में से हैं, और इसी टास्कफोर्स की उप समिति के एक सदस्य ने...

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कोरोना : ‘Restore Earth’ की नकली कोशिशें हमें यह समझने नहीं देती कि ऑक्सीजन लेवल क्या होता है

-द प्रिंट, मुफ्त की एक कीमत होती है जो समय पर ना चुकाई जाए तो उसका ब्याज सांसें चुकाती हैं. इसी तरह प्रकृति शोषण आधारित इमारतों का एक सीटूसी यानी कास्ट टू कंट्री होता जो पीढ़ियों को चुकाना होता है. बानगी देखिए हलांकि नारों में डूबा समाज इस उदाहरण को एक व्हाट्स्एप जोक से ज्यादा अहमियत नहीं देता– सुप्रीम कोर्ट की एक आकलन कमेटी ने एक पेड़ की सालाना कीमत 74,500...

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तन मन जन: कोरोना की दूसरी लहर का कहर और आगे का रास्ता

-जनपथ, सबक सीखने के लिए एक वर्ष का समय कम नहीं होता। हम दिल से चाहते तो बीते 14 महीनों में कोरोनावायरस संक्रमण क्या अन्य महामारियों से भी बचाव का एक बेहतरीन मॉडल खड़ा कर अपने देशवासियों की जान बचा सकते थे। यदि नीयत साफ होती और हम जनकल्याण की दृष्टि से कुछ बेहतर करने की तमन्ना रखते तो चीन, न्यूजीलैंड, डेनमार्क, सिंगापुर आदि देशों की तरह बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था खड़ी...

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कोविशिल्ड की कीमतों का रहस्य

-न्यूजक्लिक, केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और अंत में, निजी अस्पतालों से कोविशिल्ड के लिए क्या दाम लिये जाएंगे, इसको लेकर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआइआइ) की तरफ से एक घोषणा की गई है। इससे बेचैन कर देने वाले कई प्रश्न उत्पन्न हो गये हैं।  एसआइआइ द्वारा जारी स्पष्टीकरण के मुताबिक, वह केंद्र सरकार से वैक्सीन की प्रति खुराक 150 रुपये चार्ज कर रही थी। 1 मई से जब इसके दामों के निर्धारण...

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शंख घोष: हममें से कोई पूर्ण नहीं, सब आंशिक ही हैं…

-द वायर, ‘बंगाल का विवेक आज विदा हो गया.’ लेखक मित्र कुमार राणा ने बिना किसी भावुकता के कहा. शंख घोष के न रहने की खबर सुनकर कुमार को फोन किया था. अभी उनका जाना प्रतीकात्मक ही है. बंगाल में जिस बदलाव की धमक नहीं, धमकी है, उस समय शंख घोष का उससे दूर चले जाना क्या एक सूचना है? कवि को उसके समाज का, जनता का अनिर्वाचित विधायक कहा जाता है. उसकी...

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