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बहुत दूर दिखती है मंजिल, सतत विकास सूचकांक में भारत 110वें स्थान पर

सतत विकास वैश्विक सामाजिक प्रगति रिपोर्ट में भारत के 98वें स्थान (133 देशों में) पर होने की निराशाजनक खबर के बाद अब चिंताजनक सूचना यह आयी है कि सतत विकास सूचकांक में हमारा देश 110वें (149 देशों में) पायदान पर खड़ा है. वर्ष 2030 तक गरीबी, भूख, अशिक्षा से मुक्ति के साथ बेहतर पर्यावरण का वैश्विक लक्ष्य पाने के हमारे प्रयासों पर यह एक गंभीर टिप्पणी है. इस रिपोर्ट की मुख्य...

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आर्थिक सुधारों के 25 वर्ष-- डा.भरत झुनझुनवाला

पच्चीस वर्ष पूर्व इन्हीं दिनों वित्त मंत्री मनमोहन सिंह द्वारा बजट प्रस्तुत कर आर्थिक सुधारों को प्रारंभ किया गया था. इन सुधारों का एक प्रमुख आयाम दुनिया के देशों के बीच खुला व्यापार था. 1995 में हमने डब्ल्यूटीओ संधि पर हस्ताक्षर किये थे.  इस संधि के अंर्तगत हमने स्वीकार किया था कि निर्धारित सीमा से अधिक आयात कर आरोपित नहीं किये जायेंगे. इससे विश्व व्यापार को गति मिली. लेकिन कई...

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अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा, भारत में सुधारों की गति मंद

बीजिंग: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत में छह प्रमुख क्षेत्रों में सुधारों को आगे बढाने की जरुरत पर बल देते हुए आगाह किया है कि देश में कंपनियों और बैंकों की बैलेंश-शीट की कमजोरी, आर्थिक सुधारों की धीमी पडती गति और मंद निर्यात से पैदा चुनौतियां उसकी आर्थिक वृद्धि को प्रभावित कर सकती हैं. आईएमएफ ने हाल ही में जारी अनुमान में कहा है कि भारत की आर्थिक वृद्धि...

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इतना काफी नहीं कर्मचारियों के लिए --- वरुण गांधी

कमजोर सेवा और कम उत्पादकता के कारण आम आदमी ही नहीं, निवेशक भी हमारी नौकरशाही की व्यवस्था को लेकर अच्छी राय नहीं रखते। फिर भी, इस सच्चाई को अनदेखा कर दिया जाता है कि सरकारी कर्मचारी, खासतौर से ऊंचे दर्जे के कर्मी, निजी क्षेत्र के कर्मियों के मुकाबले कम वेतन पर काम करने को मजबूर हैं। मसलन, 25 साल का अनुभव रखने वाले सरकारी डॉक्टर को औसतन 2.1 से 2.8...

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शहरीकरण से दूर होगी गरीबी?-- अनुपम त्रिवेदी

पिछले महीने पुणे में स्मार्ट सिटी परियोजना का शुभारंभ करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि शहरीकरण को समस्या नहीं, बल्कि गरीबी दूर करने का एक अवसर माना जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि किसी में गरीबी कम करने की क्षमता है, तो वह हमारे शहर हैं, क्योंकि वहां काम के अवसर हैं. यही वजह है कि गरीब गांवों से निकल कर शहरों में जाते हैं. लेकिन, क्या यह सच...

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