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‘वयं आधुनिका:’-- मृणाल पांडे

आपको यह जानकर अचरज होगा कि जिस तरह आज हम अंग्रेजी में ‘द न्यू रियल' यानी नयी सच्चाई को जगह देकर पुरानी सचाइयों को खारिज कर रहे हैं, वह सिलसिला आज का नहीं, बहुत पुराना है. सदियों से हर नयी पीढ़ी यह दावा करती आयी है कि वह पुरानों से बेहतर है. सबसे पहले का लिखित दावा 11वीं सदी के आसपास का है. इसमें मिथिला के उदयनाचार्य अपने निकट परवर्ती...

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जल संकट के लिए तैयार रहें-- आशुतोष चतुर्वेदी

र्मी शुरू हो गयी है. हम सब जानते हैं कि हर साल की तरह हमारे गांव, कस्बे और शहर पानी की कमी से जूझेंगे. लेकिन, इस विषय में हम तभी सोचते हैं, जब समस्या हमारे सिर पर आ खड़ी होती है. न तो सरकारों की ओर से कोई ठोस पहल होती है और न ही समाज की ओर से कोई अभियान छेड़ा जाता है. समस्या केवल कम बारिश की नहीं...

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निजीकरण नहीं वनों का हो कायाकल्प-- रामचंद्र गुहा

पैंतालीस साल पहले अलकनंदा घाटी के ग्रामीणों ने जब जंगल से पेड़ काटकर ले जाने वालों को रोका, तो किसी ने सोचा न होगा कि यहीं से चिपको आंदोलन की नींव पड़ने जा रही है। एक ऐसा किसान आंदोलन, जिसने भारत में वनों के व्यावसायिक दोहन पर सबका ध्यान खींचा। चिपको आंदोलन का ही यह असर था कि वनाधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ी। गढ़चिरौली, बस्तर, सिंहभूम और पश्चिमी घाट सहित...

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राजस्थानः खनन पर लगी रोक से गहराता जा रहा है बजरी संकट

जयपुर। राजस्थान बजरी खनन पर पिछले तीन माह से लगी सुप्रीम कोर्ट की रोक और सरकार की नई नीति पर हाईकोर्ट की रोक के कारण राजस्थान मे बजरी संकट गहराता जा रहा है। प्रदेश में बजरी की जमकर कालाबाजारी हो रही है। रोक के पहले 10 हजार रुपए में मिल रहा ट्रक अब 30 से 40 हजार रुपए में भी मुश्किल से मिल पा रहा है। राजस्थान में सरकार ने बजरी...

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पैदावार में घुलता जहर-- अभिजीत मोहन

यह राहत की बात है कि केंद्र सरकार कीटनाशकों के दुष्प्रभावों पर गंभीरता से विचार करते हुए कीटनाशक प्रबंधन विधेयक को संसद से पारित कराने की दिशा में विचार करने को तैयार है। इस विधेयक को संसद से स्वीकृति मिलना इसलिए भी जरूरी है कि देश के विभिन्न हिस्सों से आए दिन कीटनाशकों के खतरनाक इस्तेमाल से किसानों की मौत के मामले सामने आ रहे हैं। गौर करें तो विगत...

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