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भारत को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए नीति आयोग के पास ये है ब्लूप्रिंट

-द प्रिंट, परमिट 45 दिनों के अंदर मिलने की तेज और प्रभावी प्रक्रिया, व्यावसायिक गतिविधियों के लिए बिजली का कनेक्शन 15 दिनों के अंदर देना, 90 फीसदी भूमि अधिग्रहण काम या निर्माण कार्य शुरू होने से पहले पूरा होने की अनिवार्यता, मुकदमेबाजी घटाने और व्यवस्थित भूमि अधिग्रहण के लिए लैंड टाइटलिंग लॉ पर अमल. ये कुछ ऐसे मुख्य बिंदु हैं जिन्हें भारत को ‘ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब’ बनाने और देश में जरूरी बुनियादी...

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दिल्ली: टूलकिट मामले में युवा कार्यकर्ता दिशा रवि को ज़मानत मिली

-द वायर, दिल्ली की एक अदालत ने किसानों के समर्थन में बनाई गई टूलकिट संबंधी ममले में गिरफ्तार की गई युवा पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि को जमानत दे दी है. दिशा को 23 फरवरी तक न्यायिक हिरासत में लिया गया था और मंगलवार को उसके ख़त्म होने पर उन्हें मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पंकज शर्मा के सामने पेश किया गया था और पुलिस ने चार दिन की कस्टडी की मांग की थी. इंडियन एक्सप्रेस...

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किसान आंदोलनः भगत सिंह के चाचा अजीत सिंह जिन्होंने छेड़ा था पगड़ी संभाल जट्टा आंदोलन

-बीबीसी, अपने लेख 'स्वाधीनता संग्राम में पंजाब का पहला उभार' में भगत सिंह ने लिखा है - जो युवक लोकमान्य के प्रति विशेष रूप से आकर्षित हुए थे, उनमें कुछ पंजाबी नौजवान भी थे. ऐसे ही दो पंजाबी जवान किशन सिंह और मेरे आदरणीय चाचा सरदार अजीत सिंह जी थे. अजीत सिंह का जन्म 23 फरवरी 1881 को ज़िला जालंधर के खटकड़ कलां गाँव में हुआ, भगत सिंह के पिता किशन सिंह...

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चमोली आपदा: चिपको आंदोलन की पीढ़ी बेबस होकर गांवों से करना चाहती है पलायन

-डाउन टू अर्थ, “हमने पहले ही चेताया था कि करीब 3500 मीटर की ऊंचाई पर नंदादेवी राष्ट्रीय अभ्यारण्य के पास बांध (डैम) बनाना ठीक नहीं है। अदालतों और लगभग सभी समितियों के चक्कर लगाए गए, उन्हें भी चेताया गया। लेकिन किसी ने हमारी बातों पर ध्यान नहीं दिया। समिति पर समिति बनती रहीं और बांध का बनना भी जारी रहा। अब देखिए यह क्या हो गया।”    उत्तराखंड के चमोली जिले में...

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मोबाइल कंपनियां अपमानित करने की हद तक आम जिदंगी में घुस गई हैं

-न्यूजलॉन्ड्री, देश में मोबाइल सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनियां अपने उपभोक्ताओं के लिए कई तरह के रिकॉर्ड संदेश प्रसारित करती है. इन संदेशों का नागरिक व मानव अधिकारों की सुरक्षा के मद्देनजर सरकार व उसके मातहत वाली संस्थाओं व आम नागरिकों के संवेदनशील प्रतिनिधियों की समिति द्वारा अध्ययन किया जाना चाहिए. मंत्री, ट्राई और संसदीय समिति के नाम पत्र में यह उदाहरण दिया गया है मोबाइल कंपनियां अपने रिकॉर्ड किए गए एक संदेश...

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