पटना। बिहार के पिछड़ेपन को बहुत हद तक मिटा देने के लिए काफी माने गए निजी निवेश के करीब 96,000 करोड़ रुपये के प्रस्ताव जमीन पर नहीं उतर पाए। मुख्य रूप से ऊर्जा एवं कृषि के क्षेत्र में आए इन प्रस्तावों को दो साल पूर्व ही राज्य निवेश प्रोत्साहन पर्षद की मंजूरी मिल चुकी है। पिछले साल दो चीनी मिलों में रिलायंस और एचपीसीएल के लगे 600 करोड़ रुपये के...
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कम मुआवजा देना अनुचित: सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने हजारों भूमि मालिकों के हितों के लिहाज से लाभदायक आदेश में व्यवस्था दी है कि सरकार उन्हें महज यह कहकर कम मुआवजा नहीं दे सकती कि अधिगृहीत की जा रही जमीन के विकास की कोई संभावना नहीं है। शीर्ष कोर्ट ने यह फैसला गोवा सरकार की अपील खारिज करते हुए दिया। इस अपील में राज्य सरकार ने बांबे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी।...
More »खूंटी छोड़ सकता है मित्तल
जमशेदपुर : दुनिया की सबसे बड़ी इस्पात उत्पादक कंपनी आर्सेलर मित्तल भूमि अधिग्रहण में आ रही दिक्कतों और विरोध के कारण झारखंड में प्रस्तावित संयंत्र के परियोजना स्थल को बदलने पर विचार कर रही है. राज्य के उद्योग सचिव एनएन सिन्हा ने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मित्तल समूह भूमि अधिग्रहण में आ रही दिक्कतों व विरोध के कारण अपनी परियोजना को खूंटी से अन्यत्र ले जाने...
More »सूखा राहत नहीं, कैश स्कीम शुरू करें केंद्र सरकार
दो बार लगातार सूखा पड़ने और उसमें हजारों लोगों की जान जाने के बाद मैंने साल 1965 में पत्रकारिता में प्रवेश किया। सूखे की स्थिति उस समय इतनी भयावह थी कि भारत को अमेरिका के सामने मदद के लिए हाथ फैलाना पड़ा। अंतरराष्ट्रीय खाद्य मदद में उस समय भारत की भागीदारी इतनी अधिक थी कि उस समय सबसे अधिक बिकने वाली एक किताब में दावा किया गया कि भारत को...
More »वनाधिकार
साल २००६ के १३ दिसंबर को लोकसभा ने ध्वनि मत से अनुसूचित जाति एवम् अन्य परंपरागत वनवासी(वनाधिकार की मान्यता) विधेयक(२००५) को पारित किया। इसका उद्देश्य वनसंपदा और वनभूमि पर अनुसूचित जाति तथा अन्य परंपरागत वनवासियों को अधिकार देना है। यह विधेयक साल २००५ में भी संसद में पेश किया गया था, फिर इसमें कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए जिसमें अनुसूचित जनजाति के साथ-साथ अन्य पंरपरागत वनवासी समुदायों को भी इस...
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