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ताकि वे अपनी पसंद से खरीदें अनाज- कार्तिक मुरलीधरन

सस्ते दामों पर राशन का सार्वजनिक वितरण (पीडीएस) भारत की प्रमुख खाद्य सुरक्षा योजना है, लेकिन यह कई जानी-पहचानी समस्याओं से घिरी है। सरकारी एजेंसियों का ही आकलन है कि पीडीएस पर सरकारी खर्च का एक बड़ा हिस्सा उचित लाभार्थियों तक नहीं पहुंचता। इसके चलते, एक विकल्प सामने आया कि क्यों न इस सब्सिडी युक्त अनाज की जगह लाभार्थियों को (खाद्य पदार्थों पर खर्च करने के लिए) सीधा पैसे भेजे...

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मनरेगा: चार सालों में रोजगार देने में त्रिपुरा सबसे अव्वल, यूपी-बिहार बहुत पीछे

यूपी-बिहार और पंजाब-हरियाणा जैसे कई राज्यों को मनरेगा के कारगर क्रियान्वयन के मामले में त्रिपुरा से सबक लेने की जरुरत है. त्रिपुरा में बीते चार सालों (2014-15 से 2017-18) में मनरेगा के अंतर्गत ग्रामीण मजदूरों को औसतन लगभग 75 दिनों का रोजगार मिला जबकि इस अवधि में योजना के अंतर्गत रोजगार का अखिल भारतीय औसत महज 45.2 दिनों का रहा.   रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया(आरबीआई) की सालाना रिपोर्ट के नये आंकड़े संकेत करते...

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राज्यों को मिलेगा 22,700 करोड़ का अतिरिक्त राजस्व

मुंबई। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में लगातार गिरावट और कच्चा तेल महंगा होने से भले ही पेट्रोल व डीजल की मूल्य वृद्धि से आम जनता परेशान हो लेकिन राज्यों को इसका भरपूर फायदा मिल रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार राज्यों को उनके बजट अनुमान के मुकाबले 22,700 रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिलने की संभावना है। एसबीआई रिसर्च ने अपने एक नोट में कहा है कि कच्चे तेल का मूल्य...

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इन राज्यों में धारा 377 के तहत दर्ज मामलों की संख्या है सबसे ज्यादा

नई दिल्ली। समलैंगिक यौन संबंध के सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश और केरल से सामने आए हैं। धारा 377 के तहत इन आपराधिक मामलों को दर्ज किया गया था। हालांकि, बीते हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने इस धारा को आंशिक रूप से निरस्त कर दिया है। यह जानकारी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के डेटा से सामने आई है। इस डेटा से मिली जानकारी के अनुसार, धारा 377 के तहत साल 2014 से...

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जरूरी विमर्श के दायरे में 'दलित' - बद्री नारायण

भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने हाल में एक एडवाइजरी जारी कर मीडिया व संबंधित संस्थानों से आग्रह किया कि वे दलित सामाजिक समूहों तथा जातियों के लिए दलित के स्थान पर अनुसूचित जाति या एससी शब्द का उपयोग करें। इससे मीडिया, राजनीतिक विश्लेषकों, अकादमिक वर्ग और सामाजिक कार्यकर्ताओं के बीच एक विमर्श छिड़ गया। उनकी ओर से यह प्रश्न उठाया जा रहा है कि इससे क्या हासिल...

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