महात्मा गांधी ने जब कहा था, ‘धरती पर सबकी जरूरत भर का सामान है, मगर सबके लालच को पूरा करने भर का नहीं', तब उन्हें आभास भी नहीं रहा होगा कि आने वाले समय में उन्हीं का देश जनसंख्या बढ़ोतरी से संत्रस्त हो जाएगा। आज स्थिति यह है कि तमाम कल्याणकारी योजनाएं उस रूप में जरूरतमंदों और आम जन तक पहुंच ही नहीं पा रही हैं, जिस रूप में उन्हें...
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गोरक्षकों की कारगुजारियों का काला चिट्ठा खोल रहा विकिपीडिया
गूगल सर्च इंजन भूमंडलीकरण आैर डिजिटाइजेशन के इस युग में दुनियाभर के लोगों में काफी लोकप्रिय है. किसी भी चीज के बारे में जानकारी हासिल करनी हो, तो गूगल सर्च इंजन पर बनाया गया विकिपीडिया काफी उपयोगी साबित होता है. पहले विकिपीडिया गूगल की आेर से ही तैयार किया जाता था, लेकिन अब लोग खुद भी गूगल पर विकिपीडिया बना सकते हैं. सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में महारत हासिल करने वालों का...
More »कौशल विकास योजना के सबक-- संजय रोकड़े
आदर्श ग्राम योजना, मेक इन इंडिया, मुद्रा योजना की तरह कौशल विकास योजना को लेकर भी बड़ी-बड़ी बातें की गर्इं। लेकिन जब सरकार ने इस योजना की सच्चाई जानने के लिए धरातल पर एक आंतरिक सर्वे करवाया तो बहुत चिंताजनक स्थिति सामने आई। कौशल विकास योजना को संचालित करने वाले मंत्रालय की आंतरिक आॅडिट रिपोर्ट में इस बात का स्पष्ट रूप से जिक्र है कि सरकार द्वारा अनुदान-प्राप्त करीब सात...
More »साफ नीयत से होगी गंगा की सफाई-- दिनेश मिश्र
गंगा की सफाई के प्रयास राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल यानी पिछले करीब 30 वर्षों से चल रहे हैं। तब गंगा ऐक्शन प्लान-1 और 2 के अधीन यह काम हुआ था। 2014 में नई सरकार आने के बाद ‘नमामि गंगे' नाम से 20,000 करोड़ रुपयों की लागत वाली एक महत्वाकांक्षी योजना के अंतर्गत इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाया गया। यह राशि 2015 से 2020 के बीच खर्च किए जाने की...
More »नदी पुनर्जीवन ही विकल्प-- सुरेश उपाध्याय
माना जाता है कि सभ्यताओं का विकास नदियों के किनारों पर ही हुआ है। लेकिन हम जिस दौर में जी रहे हैं और विकास की जिस अंधाधुंध दौड़ में शामिल हो गए हैं, उसने सबसे पहला हमला हमारी नदियों पर ही किया है। एक ओर नदियों को प्रदूषित किया जा रहा है तो दूसरी ओर कई नदियां विलुप्ति के कगार पर हैं या विलुप्त हो चुकी हैं। नदियों के शुद्धीकरण...
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