शहरी आबादी के तेज विस्तार से दुनिया के कई बड़े शहरों में सामाजिक तनाव की स्थितियां पैदा हो रही हैं। संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा जारी मानव बसाहट से संबंधित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अनियोजित मानव बस्तियों (यानी झुग्गी-झोपड़ी) के अस्त-व्यस्त हालात शहरों में व्यापक स्तर पर हिंसा और अराजकता की स्थिति को जन्म दे सकते हैं। प्लानिंग सस्टेनेबल सिटीज-ग्लोबल रिपोर्ट ऑन ह्यूमन सेटेलमेंट-2009 नामक इस रिपोर्ट में कहा...
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बारह सालों में आबादी बढ़ी एक अरब....
दुनिया की आबादी साल २०११ में ७ अरब हो जाएगी और आबादी की यह बढ़वार सबसे ज्यादा विकासशील मुल्कों में होगी। द वर्ल्ड पॉपुलेशन रेफरेंस ब्यूरो द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि महज १२ सालों के अंतराल में दुनिया की आबादी में एक अरब की बढ़ोतरी (साल १९९९ में विश्व की जनसंख्या ६ अरब थी) अपने आप में ऐतिहासिक घटना है। रिपोर्ट के अनुसार अगले दो सालों में...
More »कोपनहेगन से अमीर मुल्कों को ही आस कम
नई दिल्ली, [प्रणय उपाध्याय]। जलवायु परिवर्तन पर फिक्रमंद दुनिया के अमीर मुल्कों के नेता कुछ नतीजा दे पाएंगे इस पर उनकी अपनी ही जनता को भरोसा कम है। हालाकि भारत, ब्राजील और चीन जैसे विकासशील देशों के लोगों ने धरती की तपन कम करने के उपाय खोजने के लिए हो रही इस बातचीत को लेकर अब भी उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा है। जलवायु परिवर्तन से मुकाबले की तैयारियों को...
More »जलवायु बिगाड़ा, कीमत चुकाओ
जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर जारी कूटनीति के बीच विकासशील देशों को एक बड़ा सहारा मिला है. विश्व बैंक ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि अब भी धरती के जलवायु को बचाना मुमकिन है, लेकिन धनी देशों को इसकी बड़ी जिम्मेदारी उठानी होगी. दिसंबर में डेनमार्क के शहर कोपेनहेगन में जलवायु परिवर्तन पर होनेवाले संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन से पहले जारी इस रिपोर्ट में विश्व बैंक ने धनी देशों...
More »हरित क्रांति का जनक
आज हमारे अन्न भंडार भरे हुए हैं। देश ने पिछले साल रेकॉर्ड 73.5 मिलियन टन गेहूं पैदा किया है। अमेरिकी कृषि वैज्ञानिक नॉर्मन ई. बोरलॉग नहीं रहे, पर इसका बहुत कुछ श्रेय उन्हें भी जाता है। भारत और पाकिस्तान समेत कई और विकासशील देशों को अनाज उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में उनके द्वारा शुरू किए गए कृषि नवाचारों का योगदान रहा है। साठ के दशक में जब तत्कालीन...
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