गुजरे हफ्ते जब सुप्रीम कोर्ट हुक्मरानों को लताड़ रहा था- आप भीड़ को इंसाफ करने का हक नहीं दे सकते, भीड़ की हिंसा रोकने के लिए कानून बनाइए और ऐसे मामलों से सख्ती से निपटिए, तो माननीय न्यायमूर्तिगण को मालूम न था कि सैकड़ों किलोमीटर दूर एक गुमनाम से शहर पाकुड़ में दूसरी पटकथा रची जा रही है। कुछ घंटे बाद हमने टीवी के परदे पर 78 साल के...
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ठोस कदमों से आयेगी स्वच्छता-- पवन के वर्मा
कभी-कभी मुझे ऐसा लगता है कि हम सनकियों के राष्ट्र- एक ऐसा राष्ट्र और ऐसे नागरिक- तो नहीं, जो एक साथ एवं लगातार दो स्तरों पर जीते हुए दोनों के फर्क से भी अनजान हैं? मैं यह सवाल स्वच्छ भारत के उस राष्ट्रव्यापी अभियान के संदर्भ में उठा रहा हूं, जिसे वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक बड़े कार्यक्रम के रूप में प्रारंभ किया गया था. नीयत के...
More »कानून से ही नहीं रुकेगी क्रूर कायरता-- विभूति नारायण राय
राम मनोहर लोहिया ने भारतीय भीड़ के व्यवहार के लिए एक बड़े मौजूं शब्द का इस्तेमाल किया है- क्रूर कायरता। औसत भारतीय जब भीड़ का अंग होता है, तो उसका व्यवहार एक खास तरह की क्रूरता से भरपूर होता है, जो कई मौकों पर तो बर्बरता की हदें पार कर जाती है। भीड़ किसी जेबकतरे को बस से उतारकर पीट-पीट कर मार डालती है। कभी कोई नकबजन हत्थे चढ़ जाए,...
More »कर्नाटक के विनाश की नई राह-- रामचंद्र गुहा
यह 1989 की बात है जब मैं शिवराम कारंथ से उनके दक्षिण कर्नाटक स्थित गांव सालिग्राम में मिला था। आधुनिक कन्नड़ उपन्यास के जनक, यक्षगान जैसे प्राचीन नृत्य नाटक का पुनर्पाठ प्रस्तुत करने वाले, विधवा विवाह और स्त्री शिक्षा को बढ़ावा देने वाले शिवराम कारंथ उन दिनों अपने प्यारे पश्चिमी घाटों को विनाश से बचाने की मुहिम में जुटे थे। 80 साल की उम्र में भी वे खासे सक्रिय रहकर...
More »गरीबी में गिरावट संतोषजनक--- अजीत रानाडे
अंतरराष्ट्रीय रूप से सुप्रसिद्ध ब्रूकिंग्स संस्थान की एक रिपोर्ट यह बताती है कि भारत में गरीबी में नाटकीय गिरावट आयी है. मई 2018 के आकड़े लिये जाएं, तो भारत में घोर दरिद्रता की स्थिति में रहनेवालों की संख्या 7.30 करोड़ है, जबकि नाइजीरिया में ऐसे लोगों की तादाद 8.70 करोड़ है. ऐसा पहली बार हुआ है कि अपनी जनसांख्यिक विशालता के बावजूद भारत में अत्यंत निर्धनों की संख्या विश्व में...
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