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एक नजर जलवायु परिवर्तन पर

-इंडिया वाटर पोर्टल, प्रायः ऋतुओं के समय में विचित्र एवं असम्भावित परिवर्तन होते रहते हैं जिससे ऋतुओं का प्रारम्भ अपने निर्धारित क्रमानुसार नहीं होता, जैसा कि होना चाहिए। निर्धारित समय से पूर्व वर्षा ऋतु का आगमन या अभूतपूर्व शीतलहरी आदि अप्रत्याशित घटनाओं को देखकर वैज्ञानिकों का ध्यान ऋतु विपर्यय की ओर गया है। देश-विदेश के विशेषज्ञ अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर इस समस्या के अध्ययन में लगे हुए हैं। वे इसे जलवायु परिवर्तन...

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भास्कर इन्वेस्टिगेशन / जिस कंपनी ने सियाचिन में तैनात जवानों के लिए घटिया स्नो सूट सप्लाई किए, उसी को बार-बार मिला टेंडर, अब तक कोई कार्रवाई नहीं

-दैनिक भास्कर, दो जुलाई 2019 की बात है। ठीक एक साल पहले इलाहाबाद से भाजपा सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने इस दिन देश के रक्षा मंत्री को एक पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने सियाचिन में तैनात भारतीय जवानों को मिलने वाले कपड़ों की गुणवत्ता पर उठ रहे सवालों का जिक्र किया था। साथ ही उन्होंने इस मामले में जरूरी कार्रवाई करने की अपील रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से की थी। भाजपा...

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जून में राष्ट्रीय महिला आयोग को महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराधों की सर्वाधिक शिकायतें मिलीं

-द वायर,  राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) को जून में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की 2,043 शिकायतें मिली हैं और यह संख्या पिछले आठ महीने में सर्वाधिक है. एनसीडब्ल्यू के अनुसार, केवल जून में घरेलू हिंसा की 452 शिकायतें मिलीं. कुल 2,043 शिकायतों में से मानसिक एवं भावनात्मक उत्पीड़न की 603 शिकायतें मिलीं और इन मामलों को सम्मान के साथ जीने के अधिकार के तहत दर्ज कराया गया. आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल सितंबर...

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आईसीएमआर या मंत्री-समूह की बैठकें नहीं, कोई ब्रीफिंग नहीं- कोविड मामलों में उछाल के बीच ‘पीछे हटती’ मोदी सरकार

-द प्रिंट,  कोविड-19 पर मंत्री समूह (जीओएम) की आख़िरी बैठक, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्ष वर्धन ने की थी, 9 जून को हुई थी. कोरोनावायरस संकट पर स्वास्थ्य मंत्रालय की आख़िरी ब्रीफिंग, उसके दो दिन बाद 11 जून को हुई थी. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की टास्क फोर्स की आख़िरी बैठक को, दो हफ्ते से ज़्यादा हो गए हैं. इधर भारत में कोविड-19 के मामले तेज़ी से बढ़कर 4,73,105...

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किसानों को पैकेज और अध्यादेशों से कोई फायदा नहीं

-आउटलुक, आजादी के बाद पिछले 70 साल से किसान घाटे का सौदा कर रहे हैं। एक तरफ उसकी जोत कम हो रही है, दूसरी तरफ उत्पादन की लागत बढ़ रही है। लेकिन उन्हें उपज बेचने पर लागत भी नसीब नहीं होती है। हर सरकार किसानों की पीड़ा का जिक्र चुनाव प्रचार में तो करती है, लेकिन जीतने के बाद पांच साल के लिए किसानों को भूल जाती हैं। जहां कोरोना से...

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