मौजूदा समय में अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सरकारी बैंकों में आमूलचूल परिवर्तन लाने की दरकार है। समस्या की गंभीरता को देखते हुए बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के लिए सरकार ने उन्हें 2.11 लाख करोड़ रुपए देने की योजना बनाई है। अर्थव्यवस्था में तेजी लाने, विकास दर को बढ़ाने और रोजगार सृजन में बढ़ोतरी लाने के लिए बैंकों को मजबूत करना जरूरी है। सरकार के इस कदम को जीएसटी के...
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विकास के पैमाने और हकीकत-- राहुल लाल
हाल ही में अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेंटिंग एजेंसी ‘मूडीज' ने एक तरह से भारतीय अर्थव्यवस्था के पक्ष में अपनी राय दी। इसे कसौटी माना जाए तो अब शायद रेटिंग एजेंसियों को नोटबंदी और जीएसटी पसंद आ रहे हैं। इन दोनों कदमों और बैंकों में फंसे कर्ज का बोझ कम करने की सरकारी कवायद के कारण मूडीज ने भारत की रेटिंग बढ़ाई। उसने भारत की रेटिंग में तेरह वर्षों के बाद सुधार...
More »क्रांति के विचार में जरूरी क्रांति-- योगेन्द्र यादव
कोई भी व्यक्ति बगैर झूठा बने एक श्रद्धांजलि का लेखन कैसे कर सकता है? बीते सात नवंबर को रूसी क्रांति की शताब्दी मनाते हुए इस प्रश्न ने मुझे परेशान-सा कर दिया. कठिनाई यह नहीं है कि इस क्रांति का पुत्र यानी सोवियत संघ 70 वर्षों का होकर मृत हो गया. कोई भी अमर नहीं होता. समस्या यह भी नहीं कि समाजवादी प्रयोग अंततः विफल रहा. सफलता से सभी चीजों की...
More »शेल कंपनी कथा दूसरी कड़ी : काले धन के खिलाफ जंग राजधर्म है-- हरिवंश
राजनीति विचारधारा या भावना से चलती है और अर्थनीति शुद्ध स्वार्थ की नीितयों से. पिछले 60-70 वर्षों में एक तरफ राजनीति में भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक जंग की बात भारत में बार-बार हुई, तो दूसरी तरफ भ्रष्ट ताकतों ने आर्थिक नियमों, कंपनी कानूनों को ऐसा बनाया कि भ्रष्टाचार की जड़ें लगातार मजबूत होती गयीं. शेल कंपनियां ऐसे ही कंपनी कानूनों की उपज हैं, पर आश्चर्य यह है कि 60-70 वर्षों...
More »प्रदूषण की अर्थव्यवस्था के तर्क-- अनिल प्रकाश जोशी
एक बार फिर जर्मनी में पर्यावरण व जलवायु के मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की शुरुआत हो चुकी है। और फिर से ऐसा कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा, जिससे यह कहा जा सके कि इस बार हम किसी बड़े निर्णय पर पहुंच पाएंगे। असली बाधा इसलिए है कि दुनिया को गरम होने से बचाने का मुद्दा दरअसल उद्योगों से जुड़ा हुआ है। अगर हम ‘ग्लोबल वार्मिंग' को रोकना चाहते हैं,...
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