जनसत्ता 5 जून, 2013: दलितों के अधिकारों की जानकारी हासिल करने के लिए सूचनाधिकार के तहत डाले गए आवेदन पर जानकारी मिलने में कितना वक्त लगता है? यों तो नियत समय में जानकारी मिल जानी चाहिए, मगर आप गुजरात जाएं तो वहां कम से कम तीन साल का वक्त जरूर लग सकता है और वह भी तब जब आप सूचना हासिल करने के लिए राज्य के सूचना आयोग के आयुक्त...
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खेती की पढ़ाई के लिए इंजीनियरिंग से 10 गुना ज्यादा कांपिटिशन
रायपुर. रोजगार के बेहतर मौकों की वजह से एग्रीकल्चर की पढ़ाई इस समय इंजीनियरिंग पर भारी पड़ती दिख रही है। इंजीनियरिंग कोर्स के प्रति छात्रों का रुझान घटता जा रहा है। पीईटी के लिए इस साल आए आवेदनों को देखा जाए, तो इंजीनियरिंग की हर दो सीटों के लिए करीब तीन छात्रों के आवेदन थे। ठीक उलट एग्रीकल्चर की दो सीटों के लिए 50 दावेदार मैदान में हैं। राज्य...
More »भ्रष्टाचार का आर्थिक पहलू- डा. भरत झुनझुनवाला
यदि घूस लेनेवाले और गलत नीतियां बनानेवाले के बीच चयन करना हो तो मैं घूस लेनेवाले को पसंद करूंगा. कारण यह कि घूस में लिया गया पैसा अर्थव्यवस्था में वापस प्रचलन में आ जाता है. लेकिन गलत नीतियों का प्रभाव दूरगामी और गहरा होता है. जैसे ईमानदार नेता विदेशी ताकतों के साथ गैर-बराबर संधि कर ले अथवा गरीब के रोजगार छीन कर अमीर को दे दे, तो देश की आत्मा...
More »यही है इनक्रेडिबल इंडिया, गांव वालों ने बना डाला पुल
आनंदपुर साहिब [काली किंकर मिश्रा]।आनंदपुर साहिब के संत तूने कर दिया कमाल, दिलाने चले आजादी बिना सत्ता, बिना सरकारी माल.जी हां, साबरमती के संत ने बिना खडग बिना ढाल देश को आजादी दिलाई लेकिन आनंदपुर साहिब के संत बाबा लाभ सिंह ने कारसेवा के बल पर सतलुज दरिया के पार टापू में तब्दील आधा दर्जन से अधिक गांवों के ग्रामीणों को आजादी दिलाने का बीड़ा उठाया है। संत ने उठाया बीड़ा:- इन...
More »अपनी भाषाओं का विस्थापन-मृणालिनी शर्मा
जनसत्ता 12 मार्च, 2013: आखिर संघ लोक सेवा आयोग पर अंग्रेजी का झंडा फहर ही गया। 2013 में संघ की भारतीय प्रशासनिक और अन्य केंद्रीय सेवाओं में भर्ती के लिए सिविल सेवा परीक्षा के रूप में होने वाली संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा से भारतीय भाषाओं का परचा आखिर गायब हो गया। यों इसकी शुरुआत 2011 में ही प्रारंभिक परीक्षा (नया नाम: अभिक्षमता परीक्षण उर्फ एप्टिट्यूट टेस्ट) में कर दी...
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