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न्यूज क्लिपिंग्स् | खेती की पढ़ाई के लिए इंजीनियरिंग से 10 गुना ज्यादा कांपिटिशन

खेती की पढ़ाई के लिए इंजीनियरिंग से 10 गुना ज्यादा कांपिटिशन

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published Published on May 14, 2013   modified Modified on May 14, 2013

रायपुर. रोजगार के बेहतर मौकों की वजह से एग्रीकल्चर की पढ़ाई इस समय इंजीनियरिंग पर भारी पड़ती दिख रही है। इंजीनियरिंग कोर्स के प्रति छात्रों का रुझान घटता जा रहा है। पीईटी के लिए इस साल आए आवेदनों को देखा जाए, तो इंजीनियरिंग की हर दो सीटों के लिए करीब तीन छात्रों के आवेदन थे। ठीक उलट एग्रीकल्चर की दो सीटों के लिए 50 दावेदार मैदान में हैं।

राज्य के इंजीनियरिंग कॉलेजों में बीई के कोर्स में प्रवेश के लिए आयोजित प्री इंजीनियरिंग टेस्ट में पिछले साल की तुलना में इस साल परीक्षार्थी घट गए। पर एग्रीकल्चर कोर्स के लिए आयोजित प्री एग्रीकल्चर टेस्ट में आवेदकों की संख्या में 12 हजार से ज्यादा की वृद्धि हुई है। रोजगार और डिमांड को देखते हुए सरकार ने शैक्षणिक सत्र 2013-14 से राज्य में छह नए एग्रीकल्चर कॉलेज खोलने की मंजूरी दे दी है।

प्लेसमेंट के रिकॉर्ड के अनुसार पिछले कुछ सालों में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों से बीई करने वाले 40 से 50 फीसदी छात्रों को और निजी कॉलेजों के 30 से 35 फीसदी इंजीनियरिंग छात्रों को रोजगार मिला। वहीं एग्रीकल्चर कॉलेजों के 80 से 90 फीसदी छात्रों को डिग्री हाथ में आते ही नौकरियां मिल गईं। एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के अधिकारियों के मुताबिक इन छात्रों को शुरुआत में ही दो से चार लाख रुपए सालाना के पैकेज मिल जाते हैं। गवर्नमेंट सेक्टर, बैंकिंग, सीड, फर्टीलाइजर, पेस्टीसाइड कंपनियों के अलावा एनजीओ में भी इनकी अच्छी डिमांड है। एग्रीकल्चर की दो सीटों के लिए 50 दावेदार हैं मैदान में

यह है बदलाव की वजह
विशेषज्ञों का कहना है कि बदलाव की बड़ी वजह जॉब मार्केट है। इसमें एग्रीकल्चर की डिग्री वाले छात्रों को तत्काल और अच्छे पैकेज वाली नौकरियां मिल रही हैं। यही वजह है कि पिछले साल डेंटल और आयुर्वेद (बीएएमएस) की पढ़ाई छोड़कर छह लड़कियों ने एग्रीकल्चर कोर्स में प्रवेश लेना बेहतर समझा था। इसके अलावा दोनों कोर्स की फीस में बड़ा अंतर भी है। इंजीनियरिंग की औसत फीस प्रति सेमेस्टर 27 हजार रुपए है, जबकि सरकारी एग्रीकल्चर कॉलेजों में साढ़े चार से पांच हजार रुपए प्रति सेमेस्टर में ही पढ़ाई हो जाती है।

पीईटी और पीएटी आवेदनों की स्थिति
वर्ष पीईटी(आवेदन) सीट पीएटी (आवेदन) सीट
2011 32,752 20850 21,254 945
2012 34,315 20850 17,291 1095
2013 33,700 20850 29,000 1184


इंजीनियरिंग में रुझान यथावत : तकनीकी शिक्षा संचालनालय के एडि. डायरेक्टर एमआर खान के अनुसार इंजीनियरिंग के प्रति छात्रों का रुझान यथावत है। फर्क इतना ही है कि बाजार में डिमांड से ज्यादा इंजीनियर आ रहे हैं।
कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स, आईटी जैसी ब्रांच में डिमांड घटी है। इस विषयों में बीई करने वाले छात्रों को नौकरी तलाशने में परेशानी होने लगी है। कुछ और ब्रांच के प्रति रुझान बढ़ा है। उनकी डिमांड भी है।

राज्य ही नहीं, पूरे देश की तस्वीर बदली : कुलपति
इंदिरा गांधी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. एसके पाटील का कहना है कि सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही नहीं, बल्कि देशभर में एग्रीकल्चर के प्रति रुझान बढ़ा है। इस क्षेत्र में भविष्य में रोजगार की संभावनाएं ज्यादा हैं। भारत की जनसंख्या 2050-60 तक बढ़ेगी। इसके अनुसार अगले 40 से 50 सालों तक फूड की रिक्वायरमेंट बढ़ेगी।
इससे इन क्षेत्रों में संभावनाएं बढ़ती जाएगी। खासकर हार्टीकल्चर, खाद्य प्रसंस्करण, फिशरीज सहित अन्य सेक्टरों में रोजगार की बेहतर गुंजाइश है। किसी अन्य क्षेत्र में ग्रेजुएशन के बाद तत्काल अच्छी नौकरियां कम मिलती हैं। इसके मुकाबले एग्रीकल्चर में संभावनाएं बेहतर हैं।

 


http://www.bhaskar.com/article/CHH-RAI-kanpitisn-10-times-that-agricultural-engineering-studies-4262957-NOR.html


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