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खुले में शौच: जरुरी है कि आदत भी बदले

‘पहले शौचालय तब देवालय'- परस्पर प्रतिस्पर्धी खेमों के दो राजनेता, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश कम से कम एक बात पर सहमत हैं। और इसी सोच के अनुकूल दोनों ने अपने तईं युद्धस्तर पर शौचालय के निर्माण के लिए निवेश की योजना बनायी। लेकिन, प्रोफेसर डीन स्पीयर्स के नेतृत्व में नामचीन अर्थशास्त्रियों के एक समूह द्वारा प्रस्तुत अध्ययन का निष्कर्ष है कि नये शौचालयों का...

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आलू सप्लाई रोकने के लिए बंगाल सरकार के आदेश पर सीमा सील, फंसा 100 करोड़ का आलू

पश्चिम बंगाल में आलू की बढ़ती कीमत को देखते हुए बंगाल सरकार ने इसके लिए गठित टास्क फोर्स को निर्देश दिया है कि जब तक राज्य में आलू की कीमतें नियंत्रित नहीं हो जाती, राज्य से बाहर आलू की आपूर्ति नहीं होगी. इस आदेश के बाद पश्चिम बंगाल की सीमाएं सील कर दी गयी हैं. इधर झारखंड में आलू की उपलब्धता कम हो गयी है. इससे इसकी कीमत...

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जो कुछ न किया उसे प्रतिष्ठा मिली, जिसने काम किया, उसे देश निकाला : नीतीश

पटना : पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के विकास को लेकर अपने दिल की बात सामने रखी. शुक्रवार को आद्री परिसर में आयोजित समारोह में उन्होंने कहा कि कहा कि जो कुछ न करे, उसे प्रतिष्ठा मिली और जिसने काम किया, उसे देश निकाला हुआ. लेकिन, काम होना चाहिए. मैंने कोशिश की, काम हुआ. बालिका शिक्षा, पंचायतों में महिला आरक्षण, शौचालयों का निर्माण व सशक्तीकरण की अनेक योजनाओं को...

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जनसंख्या के बढ़ते बोझ को भोजन उपलब्ध कराने ऊपरी व शुष्क भूमि की उपयोगिता बढ़ाना है जरूरी

वैज्ञानिकों में भ्रम है कि हम उन्नत तकनीक की बात कर रहे हैं, तो पूर्व की परिस्थिति में ही सिर्फ निचली व मध्यम भूमि की उपयोगिता से काम चल जायेगा. लेकिन नयी परिस्थितियों में ऊपरी भूमि का उपयोग बढ़ाना जरूरी है. वहां ऐसी फसलें लगाने की जरूरत है जो कम पानी में और जल्दी तैयार हो जायें. जैसे मकई, मडुवा व 100 दिनों में तैयार होने वाला धान. मध्यम व निचली...

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जनसंख्या के बढ़ते बोझ को भोजन उपलब्ध कराने ऊपरी व शुष्क भूमि की उपयोगिता बढ़ाना है जरूरी

वैज्ञानिकों में भ्रम है कि हम उन्नत तकनीक की बात कर रहे हैं, तो पूर्व की परिस्थिति में ही सिर्फ निचली व मध्यम भूमि की उपयोगिता से काम चल जायेगा. लेकिन नयी परिस्थितियों में ऊपरी भूमि का उपयोग बढ़ाना जरूरी है. वहां ऐसी फसलें लगाने की जरूरत है जो कम पानी में और जल्दी तैयार हो जायें. जैसे मकई, मडुवा व 100 दिनों में तैयार होने वाला धान. मध्यम व निचली...

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