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सबर आदिवासियों के सब्र की इंतेहा-- ज्यां द्रेज

आदिवासी सबर समुदाय को जब तक कोई नजदीक से न देखे तब तक कभी जान नहीं सकता कि वो कैसे रहते हैं. और वहां तक पहुंचने के लिए भी ऐसे किसी इंसान से मदद लेनी पड़ेगी, जो उनकी रिहाइश के बारे में जानता है. हम किसी तरह झारखंड के पूर्वी सिंहभूम ज़िले में पोटका ब्लॉक के सुदूर इलाक़े की पतली पगडंडियों को पार करते हुए उनके घरों या कहें बिखरी हुई झोपड़ियों...

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दिल्ली: डेंगू से मरने वालों की संख्या 21 हुई, अस्पतालों में रद्द हुए नियमित आॅपरेशन

राजधानी में डेंगू ने चार और जिंदगियों को निगल लिया है। इसके साथ ही डेंगू से मरने वालों की तादात 21 पहुंच गई है। दिल्ली सरकार के गुरु तेगबहादुर अस्पताल सहित तमाम अस्पतालों में नियमित तौर पर होने वाले ऑपरेशन रोक दिए गए हैं। डॉक्टरों व बिस्तरों को डेंगू मरीजों के इलाज में लगाने का फैसला किया गया है। इस बीच दिल्ली सरकार ने राजधानी में 55 फीवर क्लीनकि चलाने...

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थकी-हारी, घबराई सेक्युलर राजनीति- योगेन्द्र यादव

सेक्युलरवाद हमारे देश का सबसे बड़ा सिद्धांत है। सेक्युलरवाद हमारे देश की राजनीति का सबसे बड़ा पाखंड भी है। सेक्युलरवाद अग्निपरीक्षा से गुजर रहा है। सेक्युलर राजनीति की दुर्दशा देखनी हो, तो बिहार आइए। यहां नैतिक, राजनीतिक, जातीय और संयोगों के चलते भाजपा की विरोधी बन गई सभी ताकतें सेक्युलरवाद की चादर ओढ़कर चुनाव लड़ रही हैं। उधर लोकसभा चुनाव जीतकर अहंकार में चूर भाजपा और उसके सहयोगी सेक्युलर भारत...

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महाराष्ट्र में चाहिए ऑटो परमिट ? आपको मराठी आनी चाहिए

मुंबई : एक विवादास्पद कदम के तहत, महाराष्ट्र में भाजपा शिवसेना सरकार ने फैसला किया है कि भविष्य में ऑटोरिक्शा परमिट केवल मराठी भाषा बोलने वालों को ही जारी किया जाएगा. देवेंद्र फडणवीस मंत्रालय में शिवसेना के एक सदस्य परिवहन मंत्री दिवाकर राउते ने कहा कि सरकार ने बडी संख्या में ऑटारिक्शा परमिट जारी करने का फैसला किया है और आवेदनकर्ता के लिए एक ही शर्त है कि उन्हें मराठी...

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हिंदी सम्मेलन में खो गया बहुभाषीय भारत - डॉ अनिल सद्गोपाल

विश्व हिंदी सम्मेलन सरकारी जश्न था। सरकारी जश्नों की तरह यह जश्न भी कुछ मिथकों पर टिका हुआ था। इसका सबसे बड़ा मिथक था कि हिंदी का विकास बहुभाषीय भारत की तमाम समृद्ध भाषाओं को हाशिए पर धकेलकर करना संभव है। कहीं दूर से भी यह संदेश नहीं निकला कि जिस अंग्रेजी साम्राज्यवाद के खिलाफ हिंदी संघर्ष कर रही है, उसी के खिलाफ बाकी भारतीय भाषाएं भी जूझ रही हैं...

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