बुजुर्ग समाजवादी चिंतक सच्चिदानंद सिन्हा के लेख व भाषण हम समय-समय पर छापते रहते हैं, जिनमें वह बार-बार चिह्न्ति करते हैं कि पर्यावरण और प्रकृति के विनाश के लिए अगर कोई जिम्मेदार है, तो वो है औद्योगीकरण और उपभोग आधारित अर्थव्यवस्था. और अगर इनसान नहीं चेता, तो इसी की वजह एक दिन वह खुद भी नष्ट हो जायेगा. एक और क्षेत्र उनकी चिंता में स्थायी रूप से रहता है कि अब...
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आलू किसानों की बेहतरी को लेकर पंजाब मॉडल अपनाने का हाइकोर्ट ने दिया सुझाव
कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा : विज्ञा सम्मत कृषि से मिलेगा लाभ कोलकाता : राज्य के आलू किसानों की बेहतरी के लिए राज्य सरकार को पंजाब का मॉडल अपनाने की सलाह कलकत्ता हाइकोर्ट ने दी है. हाइकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लूर व न्यायाधीश जयमाल्य बागची की खंडपीठ ने अनिंद्य सुंदर दास द्वारा दायर मामले की सुनवाई में यह कहा. खंडपीठ ने कहा कि विज्ञान सम्मत कृषि से लाभ मिले...
More »अल नीनो की संभावना 50 फीसदी, कमजोर मानसून का डर
नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग ने भी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की मौसम एजेंसियों के अनुमान को पुख्ता करते हुए कहा कि इस साल अल नीनो की संभावना 50 फीसदी है। जिसके कारण जून से शुरु हो रहे मानसून सीजन में बारिश प्रभावित हो सकती है। मौसम विभाग में लंबी अवधि के लिए पूर्वानुमान करने वाली टीम के प्रमुख डी शिवानंद पई ने कहा कि प्रशांत महासागर गर्म हो रहा है। हमारे...
More »उदारीकरण में पिसती ग्रामीण अर्थव्यवस्था- सुषमा वर्मा
विश्व बैंक की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीना लेगार्ड ने हाल ही में रहस्योद्घाटन किया है कि भारत के अरबपतियों की दौलत पिछले 15 बरस में बढ़कर 12 गुना हो गई है। गौरतलब है कि यह वही दौर है जब भारत में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत हुए चंद साल ही हुए थे। उदारीकरण के दो दशक बाद शहरी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के बीच का फासला लगातार बढ़ता ही नहीं जा रहा बल्कि...
More »भूमि-अधिग्रहण पर महाभारत- दिनेश त्रिवेदी
वर्ष 1989 में जब वीपी सिंह के नेतृत्व में राष्ट्रीय मोर्चा सरकार सत्ता में आई थी तो उससे काफी उम्मीदें थीं। सरकार से आम लोगों की बहुत सारी अपेक्षाएं जुडी थीं। सामान्य धारणा यही थी कि वह लंबे अरसे तक सत्ता में बनी रहेगी, लेकिन यह सपना एक वर्ष में ही बिखरने लगा। मंडल आयोग का मुद्दा राष्ट्रीय मोर्चा सरकार के लिए वाटरलू साबित हुआ और अंतत: सरकार धराशायी हो...
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