धनंजय प्रताप सिंह/वैभव श्रीधर,भोपाल। बजट के जरिए सियासत साधने की कोशिश हर सरकार करती आई है और आने वाले बजट में ये कोशिश निश्चित तौर पर नजर आने वाली है। 1 मार्च को आने वाले प्रदेश के बजट में सड़क,बिजली,पानी और अधोसंरचना के बजाए सामाजिक योजनाओं के बहाने सोशल इंजीनिरिंग पर ज्यादा फोकस हो सकता है। वैसे इस फार्मूले की शुरुआत पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने की थी।लेकिन इसे सही...
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दिन में शपथ, रात तक बूचड़खाने बंद : अमित शाह
लखनऊ। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि प्रदेश में हमारे मुख्यमंत्री के दिन में शपथ लेने के बाद रात तक सारे यांत्रिक बूचड़खाने बंद कर दिए जाएंगे। बोले, न बांस रहेगा और न बजेगी बांसुरी। गोवंशीय पशु चोरी होने बंद हो जाएंगे। सपा-कांग्रेस गठबंधन भी उनके निशाने पर रहा। बोले, यह गठबंधन अपवित्र है। सरकार बनने के सात दिन के अंदर भूमाफियाओं को उल्टा लटकाकर सीधा कर देंगे। बोले,...
More »लोक-लुभावन राजनीति के नुकसान - डॉ अनिल प्रकाश जोशी
हमारे देश में पहले और आज की राजनीति में कितना फर्क आ गया है। पहले देश की राजनीति एक बड़ी हद तक मूल्यों पर चलती थी। राजनीतिक दल और मतदाता दोनों ही कहीं न कहीं नैतिकता व आदर्शों का पालन कर राजनीतिक गरिमा बनाए रखते थे। लेकिन आज स्थिति पूरी तरह बदल गई है। अब राजनीतिक दल चुनावों के समय जिस तरह मतदाताओं को लुभाने के लिए लोक-लुभावन घोषणाएं करते...
More »एक आइडिया से बदहाल गांव बना खुशहाल
मिसाल : लापोड़िया गांव के लक्ष्मण अब तक लगा चुके हैं 60 लाख से ज्यादा पेड़ पिछले दिनों एक्सएलआरआइ,जमशेदपुर ने सामाजिक उद्यमिता पर तीन दिनों का एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया था. इस सम्मेलन में देशभर के 100 से ज्यादा सामाजिक उद्यमियों ने हिस्सा लिया था. इसी कार्यक्रम में भाग लेने लक्ष्मण सिंह भी आये थे, जिन्हें पर्यावरण संरक्षण के लिए लगभग 300 एवार्ड मिल चुके हैं. जानिए इस...
More »नौकरियां कहां हैं?-- संदीप मानुधने
एक सौ तीस करोड़ से अधिक की जनसंख्या के हमारे देश में हमें लगातार बताया गया है कि अधिकांश आबादी युवा है और यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है. यह तर्क मैंने 1997 के बाद से लगभग हर राजनेता को इस्तेमाल करते देखा. तब उम्मीदें आसमान तो छू रही थीं, क्योंकि वैश्वीकरण के चलते हर तरह की तरक्की का वादा हमसे हुआ था, (और कुछ हद तक वैसा हुआ भी)....
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