सभी लड़कियों की उम्र 11-14 साल के बीच, ज्यादतर का जन्म दलित परिवार में , जीविका के लिए जमीन नहीं, सो मां-बाप दिहाड़ी मजदूर, सर पर कर्ज का बोझ, इसलिए पढ़ाई से ज्यादा शादी और उससे भी ज्यादा दहेज की चिन्ता। और, इस सबके बीच कपड़ा तैयार करने वाली फैक्ट्रियों में खास लड़कियों की नियुक्ति की एक आकर्षक-योजना सुमंगली स्कीम। स्कीम का वादा-- अच्छा वेतन, रहने-ठहरने का पुरसुकून इंतजाम और...
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बीड़ी पत्ते में धुआं-धुआं ज़िंदगी -- सारदा लहांगीर
“छो...छोको भूंजी लोक पतर तुड़ले लागसी भोक....” ( हम लोग गरीब भुंजिया आदिवासी, पत्ता तोड़ते हुए भूख लगती है ) नुआपाडा जिले के सीनापाली गांव में रहने वाली 55 वर्षीय पहनी मांझी को जंगल में तेदूपत्ता तोड़ते हुए जब भूख लगती है तो वो अपना ध्यान बंटाने के लिए यहीं उड़ीया लोकगीत गुनगुनाती हैं. तेंदूपत्ता अप्रैल और मई महीने की चिलचिलाती धूप में जब हम अपने वातानुकुलित कमरे में बैठे आराम फरमा...
More »श्रमिकों के बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा सरकार उठाएगी
श्रीनगर : राज्य में श्रमिकों के बच्चों की पढ़ाई के लिए सरकार हर साल दस से पचास हजार तक की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराएगी। यह एलान श्रम एवं रोजगार मंत्री अब्दुल गनी मलिक ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड की बैठक में किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने श्रमिकों के बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए हर साल उनकी पढ़ाई के लिए आर्थिक मदद...
More »बालश्रम का कलंक- निशिकांत ठाकुर
आजादी के छह दशक बीत जाने के बाद भी जो बातें भारत के लिए शर्म की बड़ी वजह बनी हुईं हैं बालश्रम को अगर उनमें सबसे ऊपर रखा जाए तो गलत नहीं होगा। आज भी हमारे देश में करोड़ों बच्चे खेलने-कूदने और पढ़ने-लिखने की उम्र में खेतों से लेकर होटलों और खतरनाक उद्योगों तक में अत्यंत विकट परिस्थितियों में जीतोड़ मेहनत करने के लिए मजबूर हैं। बेफिक्री की उम्र में ही उनके ऊपर इतनी...
More »गृहश्रमिकों को मान्यता
संतोष की बात है कि आखिरकार दुनिया ने घरों में काम करने वाले कामगारों की फिक्र की है। यह भी प्रशंसनीय है कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के 100वें अधिवेशन में ऐसे कामगारों के हक में हुई संधि का समर्थन किया। अब यह अपेक्षा स्वाभाविक है कि भारत सरकार जल्द इस संधि का अनुमोदन करे और इसे लागू करने के लिए जरूरी कानूनी प्रावधान करे। यह दुखद है कि संपन्न...
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