सरकार का प्रयास है कि 2013 तक देश का हर किसान मृदा (मिट्टी) स्वास्थ्य कार्ड का उपयोग करने लग जाए। इस क्रम में अब तक 48 करोड़ किसानों को यह कार्ड उपलब्ध करा दिया गया है। इस योजना की शुरुआत 2008-09 के दौरान राष्ट्रीय मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरा प्रबंधन परियोजना की ओर से की गई। मिट्टी की गुणवत्ता की जांच के लिए पूरे देश में 1,049 प्रयोगशालाएं स्थापित की गई...
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भोपाल गैस कांड के विषाक्त कचरे का छह महीने में निष्पादन हो: न्यायालय
नयी दिल्ली, नौ अगस्त, (एजेंसी) उच्चतम न्यायालय ने भोपाल में यूनियन कार्बाइड कार्पोरेशन की फैक्ट्री के आसपास फैले विषाक्त कचरे को हटाने के लिए समय सीमा निर्धारित करते हुए आज केन्द्र और मध्य प्रदेश सरकार को छह महीने के भीतर इसका निष्पादन करने का निर्देश दिया। प्रधान न्यायाधीश एस एच कपाड़िया की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा, ‘‘यह निर्विवाद है कि फैक्ट्री के आसपास अभी भी बड़ी मात्रा में...
More »गंगा के गुनहगार- स्वामी आनंदस्वरुप
जनसत्ता 12 जुलाई, 2012: गंगा का नाम लेने मात्र से पवित्रता का बोध होता है। यह देश की एकता और अखंडता का माध्यम और भारत की जीवन रेखा के अतिरिक्त और बहुत कुछ है। गंगा जीवनदायिनी और मोक्षदायिनी दोनों है। आज भी लगभग तीस करोड़ लोगों की जीविका का माध्यम है। मगर पिछली डेढ़ सदी से गंगा पर हमले पर हमले किए जा रहे हैं और हमें जरा भी अपराध-बोध नहीं...
More »गया वो जमाना! अब च्यवनप्राश खाने से नहीं मिलेगी शक्ति
ग्वालियर। च्यवनप्राश की शक्तियां कमजोर पड़ती जा रही हैं। ऐसा च्यवनप्राश के निर्माण में प्रयोग होने वाली 54 औषधियों में से कई के विलुप्त होने की वजह से हो रहा है। नई दिल्ली स्थित केंद्रीय आयुर्वेद विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस) ने देश के सभी 32 केंद्रीय आयुर्वेद रिसर्च सेंटरों के डायरेक्टर्स और आयुर्वेद कॉलेजों को पत्र लिखा है। इसमें उन्हें आगाह किया गया है कि अष्ट वर्ग (आठ औषधियों का समूह) की...
More »सहजीवन का नीड़- प्रियंका दुबे( तहलका)
ध्य प्रदेश के ग्वालियर में बना विवेकानंद नीड़म बताता है कि जीवन और प्रकृति के बीच सामंजस्य कितना सुंदर हो सकता है. प्रियंका दुबे की रिपोर्ट. उम्मीद का रंग शायद हरा होता होगा. सूखती नदियों और लगातार दूषित हो रहे पर्यावरण की चिंताओं वाले दौर में विवेकानंद नीड़म को देखकर पहला ख्याल यही आता है. चंबल के सूखे बीहड़ों में बने इस हरे भरे 'आश्रम' को सहजीवन की उस धारणा...
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