यह चिंताजनक है कि कृषि प्रधान देश भारत में पशुपालन के प्रति लोगों की अरुचि बढ़ती जा रही है। मवेशियों की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है। आजादी के बाद से 1992 तक देश में मवेशियों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है। लेकिन उसके बाद इनकी संख्या में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। 2007 में पशुओं की संख्या में मामूली वृद्धि हुई थी लेकिन उसके बाद इनकी...
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किसानों पर भारी पड़ी तंत्र की लापरवाही, फसल बीमा ही नहीं मिला
भोपाल। प्रदेश में पिछले साल खराब हुई खरीफ फसलों के लिए हजारों किसानों को पात्र होते हुए भी प्रधानमंत्री फसल बीमा नहीं मिल पाया। सरकारी तंत्र की लापरवाही के चलते प्रभावित किसानों का फसल बीमा दावा ही नहीं बन पाया। दरअसल, राजस्व अधिकारियों ने फसल के बोए क्षेत्र और बीमित क्षेत्र का डाटा दर्ज करने में लापरवाही बरती। नतीजा यह हुआ कि बीमा कंपनियों में इनके दावे ही प्रस्तुत नहीं हो...
More »अर्थव्यवस्था की सेहत का सवाल - संजय गुप्त
पूरे देश में टैक्स की एक प्रणाली के रूप में वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी को लागू करते समय यह आशंका व्यक्त की गई थी कि इसके चलते अर्थव्यवस्था में कुछ समय के लिए ठहराव की स्थिति देखने को मिल सकती है। वर्तमान में ऐसा ही दिख रहा है। पिछली तिमाही में विकास दर जिस तरह 5.7 प्रतिशत ही दर्ज की गई, उससे तमाम राजनेता और कुछ अर्थशास्त्री यह...
More »छोटे कदमों से बड़े बदलाव-- वरुण गांधी
कायदे से तो भारत के गांवों में कोई परेशानी ही नहीं होनी चाहिए थी- आखिर कृषियोग्य भूमि के मामले में हमारा देश दुनिया में दूसरे स्थान पर है. लेकिन, उपजाऊ जमीन के एक तिहाई पर ही सिंचाई की सुविधा है, बाकी क्षेत्र बारिश पर निर्भर है. छोटी होती जोत और खेती की बढ़ती लागत से किसान पर कर्ज का बोझ बढ़ रहा है. वित्त वर्ष 2014 से 17 के...
More »प्रोत्साहन पैकेज के फायदे -- संदीप बामजई
कृषि, आवास निर्माण क्षेत्र, रेलवे, सड़क, आदि में इस पैकेज के इस्तेमाल से जीडीपी की दर अच्छी हो जायेगी. अगर सरकार अभी पैकेज का ऐलान करती है, तो उम्मीद है कि अगले साल की पहली तिमाही (जनवरी-मार्च 2018) में हमारी जीडीपी छह प्रतिशत को पार कर सकती है. बीते बुधवार को हुई कैबिनेट मीटिंग के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि सरकार की नजर अर्थव्यवस्था पर है और...
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