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लॉकडाउन के असर से उबरने के लिए राज्यों ने प्रधानमंत्री से माँगा आर्थिक पैकेज

-सत्यहिंदी, प्रधानमंत्री के साथ मुख्यमंत्रियों की बैठक में एक बात साफ़ उभर कर सामने आई कि लॉकडाउन के प्रभावों से उबरने के लिए राज्य सरकारों को विशेष आर्थिक पैकेज की ज़रूरत है।  राज्यों ने प्रवासी मज़दूरों और मझोले-लघु-सूक्ष्म उद्योगों की मदद करने की बात कही। इसके अलावा खपत बढ़ाने के उपाय करने की भी चर्चा की गई। तमाम मुख्यमंत्रियों ने इस पर ज़ोर दिया कि केंद्र सरकार लॉकडाउन के असर से तबाह...

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लॉकडाउन: राष्ट्र की रेल और श्रमिक का शरीर

- द वायर, ‘यह हादसा कतई नहीं…’ अंग्रेज़ी अखबार टेलीग्राफ की यह सुर्खी एक सच्चे दिल से निकली चीख है. रुंधे गले से निकली यह चीख एक अधूरा वाक्य है. वाक्य पूरा यही हो सकता है- ‘यह हादसा कतई नहीं, हत्या है.’ हत्या किसने की? हत्यारा निश्चय ही वह ड्राइवर नहीं है, जो मालगाड़ी की रफ्तार को काबू नहीं कर सकता था जब वह रेलवे लाइन पर सिर टिकाए, गहरी नींद में...

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प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत अप्रैल महीने में 20 करोड़ लोगों को राशन नहीं मिला

-द वायर, कोरोना वायरस महामारी के चलते उत्पन्न हुई समस्या से लोगों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने मार्च के आखिरी हफ्ते में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजेकेएवाई) लॉन्च किया था. इसके तहत लोगों को आर्थिक सहायता और हर पात्र व्यक्ति को तीन महीने (अप्रैल-जून) के लिए पांच किलो अतिरिक्त अनाज दिया जाना था. हालांकि आलम ये है कि अप्रैल महीने में करीब 20 करोड़ लोगों को अतिरिक्त राशन...

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ट्विटर पर छाया किसानों की संपूर्ण कर्जा मुक्ति का अभियान, लॉकडाउन में राहत की मांग

-आउटलुक,  देश कोरोना वायरस जैसी गंभीर महामारी से लड़ रहा है तथा इस लड़ाई में देश का किसान अग्रिम मोर्चे पर खड़ा है क्योंकि उन्हीं की बदौलत देश में खाद्यान्न का भरपूर भंडार है जिस कारण केंद्र के साथ ही राज्य सरकारें आम आदमी को खाद्यान्न मुफ्त या फिर सस्ती दर पर आवंटन कर पा रही हैं। अत: देशभर कि किसानों ने ट्विटर के माध्यम से अपनी बात सरकार तक पहुंचाने...

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महामारी के बाद निवेश का पहिया, राजस्व की चरखी और रोजगारों की मशीन कैसे चलेगी

-इंडिया टूडे, ताली-थाली और दीया-मोमबत्ती से होते हुए कोविड लॉकडाउन का तीसरा सप्ताह आने तक केंद्र सरकार थकने-सी लगी थी. यही मौका था जब भारतीय संविधानसभा की वह जद्दोजेहद कारगर नजर आने लगी, जिसके तहत राज्यों को पर्याप्त शक्तियों से लैस किया गया था. आजादी के बाद सबसे बडे़ संकट में भारत के राज्य अमेरिका की तरह वहां के राष्ट्रपति का सिरदर्द नहीं बने थे बल्कि संघीय ढांचे की ताकत के...

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