‘क्या आप जानते हैं कि हमारे देश में चुनाव कैसे होते हैं? पिता के लिए शराब, मां के लिए कपड़े और बच्चे के लिए भोजन।’ ‘आखिर इस देश में क्या भ्रष्ट नहीं है? भारत का केंद्रीय व्यसन या दोष भ्रष्टाचार है; भ्रष्टाचार की केंद्रीय धुरी है चुनावी भ्रष्टाचार; और चुनावी भ्रष्टाचार की केंद्रीय धुरी हैं कारोबारी घराने।’ उपरोक्त उक्तियां अन्ना हजारे द्वारा कही गई बातों जैसी लगती हैं। हालांकि ये बातें...
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आंदोलन के बाद उठे सवाल : महेश रंगराजन
भ्रष्टाचार के विरुद्ध अन्ना हजारे के आंदोलन ने जनता के मन में जगह बना ली और सरकार को लोकपाल विधेयक के संबंध में चुस्ती-फुर्ती दिखानी पड़ी। सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार और उसे नियंत्रित करने के श्रेष्ठ तरीकों के बारे में सक्रिय बहस जारी है। अन्ना के अहिंसक आंदोलन ने युवाओं और आमतौर पर गैरराजनीतिक रुझान रखने वाले मध्यवर्ग को भी प्रभावित किया। यह भी उल्लेखनीय है कि नए विधेयक की प्रक्रियाएं...
More »आम आदमी का आंदोलन- अजय सिंह
अन्ना हजारे के आमरण अनशन पर राजनीतिक दलों में एक अजीब सी सहमति है. समाजवादी पार्टी के मोहन सिंह और राष्ट्रीय जनता दल के रघुवंश प्रसाद सिंह को विरोध के इस स्वरूप में फ़ासीवाद की झलक दिखाई दे रही है. संघी मानसिकता के बुद्धिजीवियों को अन्ना हजारे का विरोध प्रजातंत्र विरोधी लग रहा है. कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी को यह अराजक और खतरनाक दिखायी दे रहा है. वामदलों को भी...
More »बीच बहस में न्यूनतम मजदूरी
हालांकि केंद्र सरकार ने मनरेगा के अन्तर्गत दी जाने वाले मजदूरी को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ने की बात मान ली है, फिर भी वह इस मामले में संविधानप्रदत्त न्यूनतम मजदूरी देने में संकोच कर रही है जबकि देश के कई सूबों में अब भी मनरेगा के अन्तर्गत दी जाने वाली मजदूरी न्यूतम मजदूरी से कम है। सरकार का तर्क है कि न्यूनतम मजदूरी दी गई तो बढ़ा हुआ वित्तीय...
More »सरकार ने बढ़ाए राशन के गेंहू-चावल के दाम
नई दिल्ली। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत गरीबी रेखा से ऊपर जीवन यापन करने वाले [एपीएल] कार्डधारकों को मिलने वाले गेहूं और चावल के दाम सरकार ने बढ़ा दिए हैं। इनमें 40 प्रतिशत तक की वृद्धि की गई है। इस आशय से जुड़े एक प्रस्ताव को बीते हफ्ते सरकार ने मंजूरी दे दी। गुरुवार को आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि बीते हफ्ते आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने एपीएल परिवारों...
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