उत्तर प्रदेश के गन्ना किसान राज्य में गन्ने के राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) के खिलाफ आंदोलन चलाने की तैयारी कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि पेराई सत्र 2009-10 के लिए वे इतनी 'कम कीमत' पर मिलों को गन्ने की आपूर्ति नहीं करेंगे। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता महेंद्र सिंह टिकैत और राष्ट्रीय किसान मजूदर संगठन (आरकेएमएस) के नेता वी एम सिंह की अगुआई में बरेली शहर में आज...
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केंद्र के नए कानून से गन्ने के भुगतान मूल्य को लेकर संशय
उत्तर प्रदेश में गन्ने के भुगतान मूल्य को लेकर चीनी मिलें दुविधा में फंस गई हैं। उन्हें यह साफ नहीं हो पा रहा है कि गन्ने की कीमत वे राज्य सरकार द्वारा घोषित मूल्यों के आधार पर अदा करे या फिर केंद्र सरकार के नए मूल्य का इंतजार करे। उधर किसान भी इस साल गन्ने के बदले मिलने वाली कीमत को लेकर संशय में हैं। असल में केंद्र सरकार ने गत 22...
More »आर-पार से पहले मंझधार- बीटी बैंगन का विवाद
बीटी बैंगन की खेती को जेनेटिक इंजीनियरिंग एडवाइजरी कमिटी की हरी झंडी मिलने के साथ एक बार फिर आनुवांशिक रुप से प्रवर्धित बीजों के इस्तेमाल का सवाल मीडिया की सुर्खियों में है।जेनेटिक इंजीनियरिंग एडवाइजरी कमिटी वन और पर्यावरण मंत्रालय से जुड़ी एक नियामक संस्था है। वैज्ञानिक की टोली वाली इस समिति ने पिछले १४ अक्तूबर को बीटी बैंगन की व्यावसायिक खेती को निरापद करार देते हुए हरी झंडी दे दी थी। बीटी बैंगन की खेती को निरापद करार देने के समिति...
More »गेहूं के समर्थन मूल्य की राह में महंगाई का रोड़ा
नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। पहले मानसून ने मारा, अब न्यूनतम समर्थन मूल्य [एमएसपी] के जरिए सरकार किसानों को मार रही है। धान पर मिले कम बोनस के बाद गेहूं पर भी बहुत ज्यादा एमएसपी की उम्मीद नहीं है। सरकार जल्दी ही इसके समर्थन मूल्य की घोषणा कर सकती है। पिछले रबी सीजन में गेहूं का एमएसपी 1080 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया था। आमतौर पर बुवाई शुरू होने...
More »ग्रामीण इलाकों में फिर से दिखाई देने लगे परिंदे
लुधियाना। पंजाब में हरित क्राति के बाद कृषि मित्र पक्षियों की संख्या में अचानक कमी हो गई। कारण था छायादार पेड़ों की संख्या में कमी और कमाई के लिए लगाए गए नुकीले पेड़ों पर घोंसलों का असुरक्षित होना। इसी के चलते गटार, लालड़ी , छोटी चिड़िया (हाउस स्पैरो), चक्कीराहा (हुप्पू), कठफोड़वा (वुडपेकर), नीलकंठ (ब्ल्यू जे), छोटा व बड़ा उल्लू जैसे पक्षियों की संख्या लगातार कम होने लगी। हालाकि, इसके पीछे...
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