मनुष्यों के लिए नागरिक, सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक अधिकार मौलिक मानवाधिकारों की श्रेणी में आते हैं. विभिन्न रिपोर्टें इस बात की पुष्टि करती हैं कि दुनिया की एक बड़ी आबादी आज भी अपने बुनियादी अधिकारों के लिए संघर्षरत है और मानवाधिकार उल्लंघन का शिकार है. मानवाधिकार के पक्ष में आवाज बुलंद करने की जरूरत को समझते हुए कई देश संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में 70 साल पहले एकजुट...
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तेल का खेल अभी और चलेगा-- सौरभ चंद्र
तेल विश्व की राजनीति को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाली वस्तु है। इसकी वजहें भी हैं। तेल अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी है, इसका अपना सैन्य महत्व है और कुछ इलाकों में ही इसके भंडार सिमटे हैं। यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि आने वाले दिनों में तेल की कीमतें कितनी होंगी? क्योंकि तेल की दुनिया में अनिश्चितता ही निश्चित है। भू-राजनीति और भू-अर्थव्यवस्था में तेल का अव्वल स्थान है। इसका...
More »धन के पर्व पर निवेश की बात- आलोक पुराणिक
सेंसेक्स, यानी मुंबई शेयर बाजार का संवेदनशील सूचकांक, जिसमें देश की शीर्ष तीस कंपनियों के शेयरों के भावों का अंदाज मिलता है। अगर किसी ने करीब एक साल पहले के मुंबई शेयर बाजार के सूचकांक में पैसे लगाए हों, तो वह करीब तीन प्रतिशत के रिटर्न पर बैठा है। यह रिटर्न बहुत ही खराब माना जाएगा। हाल के कुछ महीने शेयर बाजार के लिए बहुत खराब बीते हैं, क्योंकि...
More »पत्रकारिता और नैतिकता- मृणाल पांडे
कई दूसरे शब्दों की तरह पिछले सालों में नैतिकता शब्द का भी घोर अवमूल्यन हुआ है. आज किसी भी काम के साथ इस शब्द के जुड़ते ही उससे एक पाखंडी बड़बोले उपदेशक के नक्की प्रवचन की ध्वनि कानों में रेत की तरह किरकिराने लगती है. शायद इसी वजह से जो नेकनीयत पत्रकार पेशे को समर्पित हैं, वे भी सच्चे तथा फेक, संदर्भयुक्त या संदर्भ से काटे गये समाचारों के संकलन...
More »तेल कीमतों में कमी के आसार नहीं-- अभिजीत मुखोपाध्याय
नवंबर, 2014 के बाद पहली बार इस साल मई में कच्चे तेल की कीमत 80 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गयी थी. आंकड़े इंगित करते हैं कि अमेरिका, जापान और यूरोप की अर्थव्यवस्थाओं के साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था अपेक्षा से बेहतर प्रदर्शन कर रही है. इस कारण तेल की मांग बढ़ रही है. फिलहाल कच्चे तेल की कीमत 78 डॉलर के आसपास है. इसका दूसरा पहलू यह है कि आपूर्ति को नियंत्रित...
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