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स्थायी नौकरियों का मकड़जाल - मृणाल पांडे

बेरोजगारी फिलहाल देश की बड़ी चिंताओं में पहले पायदान पर है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री ने देश को आश्वस्त किया कि गत एक बरस में 18-25 की उम्र के 70 लाख युवाओं ने संगठित क्षेत्र में रोजगार पाया, इसका प्रमाण सरकारी बही में दर्ज कर्मचारी भविष्यनिधि (ईपीएफ) के 70 लाख नए खाते हैं। इस आशावादी घोषणा का आधार थी (विगत जनवरी में छपी आईआईएम के प्रोफेसर पुलक घोष व एक राष्ट्रीयकृत...

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नए-नए आयाम तय करता भारतीय विज्ञान - मुकुल व्‍यास

इस वर्ष भारतीय विज्ञान एक नए शिखर पर पहुंचा। हमारे वैज्ञानिकों और रिसर्चरों ने विभिन्न् क्षेत्रों में ऐसी कई उपलब्धियां हासिल की जो सिर्फ देश ही नहीं, बल्कि दुनिया में सराही गईं। ये ऐसी उपलब्धियां हैं जिन पर हर भारतीय को गर्व होना चाहिए। 2017 में शानदार उपलब्धियों की शुरुआत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने फरवरी में एक ही रॉकेट से 104 उपग्रह छोड़कर की थी। यह अनोखा विश्व...

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वायु प्रदूषण से परेशान दिल्ली की हवा यूं साफ करेगा 'नीरी'

अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर से दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों को बचाने के लिए पर्यावरण मंत्रालय के साथ अब राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग शोध संस्थान (नीरी) भी आगे आया है। नीरी ने इसके लिए कई उपाय सुझाए हैं। इनमें सबसे अहम भारी भीड़-भाड़ वाले चौराहों पर एयर प्यूरीफायर यंत्र लगाने का है। जिसे नीरी ने वायु प्रदूषण के बढ़े स्तर को कम करने के लिए खुद...

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गौमूत्र समेत गाय से जुड़े पदार्थों के फायदों पर रिसर्च के लिए मोदी सरकार ने बनाई कमेटी

सरकार ने गौमूत्र सहित गाय से जुड़े पदार्थों और उनके लाभ पर वैज्ञानिक रूप से विधिमान्य अनुसंधान करने के लिए 19 सदस्यीय समिति बनाई है जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के तीन सदस्यों को शामिल किया गया है। एक अंतरविभागीय सर्कुलर और समिति के सदस्यों ने यह जानकारी दी। सर्कुलर के अनुसार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन की अध्यक्षता वाली समिति ऐसी परियोजनाओं को चुनेगी...

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शिक्षा का बाजारवाद-- रमेश दवे

शिक्षा को जब हम अपने अतीत से जोड़ते हैं तो संस्कार की ध्वनि सुनाई देती है, लेकिन जब अपने वर्तमान समय से जोड़ते हैं तो विकार और व्यापार के विज्ञापनों के धमाके सुनने को मिलते हैं। वैश्वीकरण, बाजारवाद और उत्तर-आधुनिकता के इस तरह-तरह की मृत्यु-घोषणा के समय में अगर इतिहास, साहित्य, साहित्यकार या लेखक की मृत्यु पश्चिमी चिंतक घोषित करते रहे हैं, तो क्या यह सच नहीं है कि हम...

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