पूरे देश की ही तरह मध्य प्रदेश के अर्थतंत्र की रीढ़ भी खेती है। इसी खेती ने 2008 की विश्व मंदी में भी देश की अर्थव्यवस्था को डूबने से बचाया था। हालांकि, यही खेती खुद भी कभी सूखे तो कभी अतिवृष्टि की शिकार होती रही है। नईम की इन पंक्तियों की तर्ज पर कि 'सूखे का हुआ कभी/कभी हुआ बाढ़ का/पहला दिन मेरे आषाढ़ का"। इस बार आषाढ़ तो नहीं मगर...
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घर तक आयी गंगा, तो उड़ गयी शहर की नींद
पटना : गोलघर से दीघा तक गंगा की धार को राजधानी की सड़क से दूर रखने के लिए वर्षों पहले सुरक्षा बांध का निर्माण किया गया था. लेकिन, आज गंगा की पेटी यानी बांध के भीतर में हजारों घर बन गये हैं. इसमें एक बड़ी आबादी रह रही है, जो कि गंगा के बढ़े जल स्तर से डरी-सहमी है. रात के अंधेरे में गंगा नदी का डरावना तेज बहाव इनको...
More »असम में बाढ़ से मरने वालों की तादाद 31 पहुंची, महाराष्ट्र में मकान ढहने से नौ मरे
नयी दिल्ली: असम में बाढ़ से आज और दो लोगों के मरने की रिपोर्ट आने के साथ इस राज्य में बाढ से मरने वालों की तादाद 31 पहुंच गई. वहीं महाराष्ट्र के भिवंडी में एक भवन के ढहने से कम से कम नौ लोगों की मौत हो गई, जबकि ओडिशा में पिछले दो दिनों में बिजली गिरने से कम से कम 41 लोग मारे गए हैं. असम राज्य आपदा प्रबंधन...
More »असम में बाढ़ से एक लाख लोग प्रभावित
गुवाहाटी। असम के सात जिलों में पिछले कुछ दिनों से एक लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के एक अधिकारी ने बताया कि लखीमपुर, नगांव, गोलाघाट, मोरीगांव, विश्वनाथ, बारपेटा और जोरहट जिलों के 213 गांवों के कुल एक लाख 12 हजार 307 लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। आने वाले दिनों में स्थिति और खराब हो सकती है क्योंकि राज्य के मौसम विभाग ने असम...
More »समझ, संकल्प और इच्छाशक्ति का अकाल : योगेन्द्र यादव
वो गांव गये थे..दावा है कि गांव-गांव यात्रा किये हैं..खेत-खेत, आरी-डरेड़ा सब जगह घूमें। उन्हें ऐसा इसलिए करना पड़ा क्योंकि देश सूखे से बेहाल और सरकार दो साल के जश्न में निहाल है। उनका दावा है कि अभी दिल दिमाग जाग्रत है माने नहीं सूखा..भले ही खेत सूख गये हों..किसान बदहाल हो..आत्महत्या कर रहा हो। जी हां मैं बात कर रहा हूं स्वराज अभियान के योगेंद्र यादव और उनके साथियों की...
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