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गुरेज़: पट्टू बुनकरों की रेशा-रेशा बिखरती ज़िंदगी

पारी हिंदी, 28 अगस्त  अपना आख़िरी पट्टू बुने हुए अब्दुल कुमार मागरे को कोई 30 साल हो गए हैं. वह कश्मीर की भयानक सर्दियों - जब तापमान -20 डिग्री से भी नीचे चला जाता है - से बचाव करने के लिए मशहूर इस ऊनी कपड़े को बुनने वाले कुछ आख़िरी बचे हुए बुनकरों में एक हैं. अब्दुल (82) याद करते हुए कहते हैं, “मैं एक दिन में तक़रीबन 11 मीटर कपड़े बुन...

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पीएम जन आरोग्य योजना के तहत ‘मृत’ मरीज़ों के इलाज के लिए 6.9 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ: कैग

द वायर , 17 अगस्त  आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) के ऑडिट में अनियमितताओं को चिह्नित करते हुए भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने कहा है कि इसके तहत 3,446 मरीजों के इलाज के लिए 6.97 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जिन्हें डेटाबेस में पहले ही मृत घोषित कर दिया गया था. 2018 में शुरू की गई यह योजना स्वास्थ्य देखभाल की मांग करने वाली गरीब और कमजोर...

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कम गरीबी, असमानता, फिर भी पंजाब अपनी उपलब्धियों पर आराम नहीं कर सकता क्योंकि शहरों में गरीबी बढ़ी है

दिप्रिंट, 1 अगस्त  पिछले सप्ताह जारी नीति आयोग के बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2023 के अनुसार, पंजाब की 5 प्रतिशत से भी कम आबादी 2021 में बहुआयामी गरीबी में जी रही थी. इसके अलावा, राज्य सरकार के जिला-वार जीडीपी डेटा के विश्लेषण से पता चला है कि राज्य में कम आय असमानता देखी जा रही है. इसका अर्थ क्या है? सीधे शब्दों में कहें तो, जबकि राज्य में बहुआयामी गरीबी में रहने वालों...

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बाघों की बढ़ती आबादी को संभालने में कितने सक्षम हैं भारत के जंगल

मोंगाबे हिंदी, 31 जुलाई पांच दशक पहले की बात है, देश में बाघों की पहली गिनती के नतीजों ने सरकार के लिए खतरे की घंटी बजा दी थी। बाघों की आबादी घटकर 1,827 पर आ गई थी। यह संख्या 20वीं सदी के शुरू में अनुमानित 20,000-40,000 से काफी कम थी। इसी खतरे को भांपते हुए 1973 में ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ शुरू किया गया। यह कार्यक्रम आज भी भारत में बाघों को बचाने...

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आदिवासी क्यों कर रहे हैं समान नागरिक संहिता का विरोध ?

"यूनिफॉर्म सिविल कोड के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है। आप मुझे बताइये, एक घर में, परिवार के एक सदस्य के लिए एक कानून हो और दूसरे सदस्य के लिए दूसरा कानून हो, तो क्या वो घर चल पाएगा? कभी भी चल पाएगा? समर्थकों की ओर से जवाब आता है नहीं। फिर ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा। हमें याद रखना है कि भारत के...

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