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खुले में शौच मुक्त घोषित होने के बावजूद गुजरात में लाखों शौचालयों की ज़रूरत: आरटीआई

अहमदाबाद: कुछ महीनों पहले गुजरात को ‘खुले में शौच से मुक्त' (ओडीएफ) राज्य घोषित किया गया था. हालांकि एक आरटीआई के जरिए ये खुलासा हुआ है कि गुजरात के ग्रामीण घरों में अभी लाखों शौचालयों की आवश्यकता है.   आरटीआई कार्यकर्ता हितेश चावडा द्वारा दायर आरटीआई के जवाब में जिला प्रशासन ने कहा कि ‘स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण' योजना के तहत दाहोद में इस साल मई-जून तक 1.40 लाख परिवारों को शौचालय नहीं...

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RTI कार्यकर्ता को PMO ने नहीं दिया चाय-नाश्ते के खर्च का ब्योरा

भोपाल (स्टेट ब्यूरो)। केजरीवाल सरकार में चाय-नाश्ते पर खर्च को कॉमनवेल्थ घोटाले जैसा बताने वाली भाजपा की केंद्र सरकार प्रधानमंत्री कार्यालय में चाय-नाश्ते के खर्च का ब्यौरा नहीं रखती है। सूचना का अधिकार (आरटीआई) के आवेदन पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया है कि सरकारी खातों में यह ब्यौरा नहीं रखा जाता है, इसलिए प्रधानमंत्री कार्यालय और निवास में चाय-नाश्ते पर खर्च की कोई जानकारी नहीं दी जा सकती। एक आरटीआई आवेदन...

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'बीते एक साल में 20 लोगों की भुखमरी से मौत, सभी वंचित तबके के'-- रोजी रोटी अधिकार अभियान

उत्तर कर्नाटक के नारायण, झारखंड के रूपलाल मरांडी, बरेली की सफीना अशफाक और ओड़ीशा के कुंदरु नाग के बीच क्या समानता हो सकती है ? शायद, कोई नहीं- सिवाय इसके कि ये सभी समाज के वंचित वर्ग के हैं और इन सबकी मौत पिछले एक साल के दौरान भुखमरी के कारण हुई तथा इन सभी को एक ना एक कारण से पीडीएस से अनाज नहीं मिल सका.(पिछले एक साल के...

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आरटीआई की जानकारी देने के लिए सरकार अब मांग रही परिचय पत्र

भोपाल। राज्य सरकार के विभाग अब सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत जानकारी न देने के नए-नए तरीके निकालने लगे हैं। अब राज्य का सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग जानकारी देने से पहले आरटीआई आवेदक से परिचय-पत्र अनिवार्य तौर पर मांग रहा है, जबकि कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। ऐसा एक मामला हाल ही में सामने आया है। भोपाल निवासी सुभाष गर्ग ने सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण संचालनालय...

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ऑनरेरी डिग्री की गरिमा-- डा. गौहर रजा

    किसी शख्स को उसके उत्कृष्ट काम या समाज में बेहतरीन योगदान देने के लिए ऑनरेरी डिग्री (मानद उपाधि) दी जाती है. यह एक तरह से अकादमिक सम्मान है. मानद उपाधि देने की शुरुआत पंद्रहवीं शताब्दी में ऑक्सफोर्ड यूनवर्सिटी से हुई.   उस जमाने में यह उपाधि या तो डोनर्स को दी जाती थी, या जिनकाे यह समझा जाता था कि यूनिवर्सिटी के बाहर उन्होंने उत्कृष्ट काम किया है, उनको दी जाती थी....

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