इंडियास्पेंड, 18 फरवरी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा प्रकाशित एक पेपर के अनुसार, वर्तमान तकनीकी समीक्षा के परिणामों से पता चला है कि कृषि मिट्टी ने अपने निहित मिट्टी कार्बनिक कार्बन (SOC) पूल का लगभग 30-75 प्रतिशत खो दिया है, जो कि " काफी चिंताजनक "। कृषि भूमि उपयोग प्रणालियों में, वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में वृद्धि फसल भूमि की लगातार खेती, फसल अवशेषों, बायोमास जलाने, स्थानांतरित खेती, कम...
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धंसते जोशीमठ से उठते सवाल, सरकारों ने पहाड़ी राज्य के हिसाब से नहीं बनाया विकास मॉडल
डाउन टू अर्थ, 16 जनवरी जोशीमठ में जो आज हो रहा है उसकी पठकथा तो कई सालों से लिखी जा रही थी, ये प्राकृतिक संसाधनों की लूट का खुला प्ररिणाम है। ये नाजुक परिस्थितिकीतंत्र के ऊपर आर्थिक तंत्र को तबज्जो देने का परिणाम है। हम सब जानते हैं कि हिमालय बहुत नाजुक पर्वतश्रृंखला है और इसका परिस्थितिकीतंत्र अतिसंवेदनशील है। हिमालय सम्पूर्ण दक्षिण एशिया के पर्यावरण, समाज और अर्थव्यवस्था पर सीधा असर...
More »साफ़ ऊर्जा की ओर प्रगति में कहां खड़ा है भारत
कार्बनकॉपी, 10 जनवरी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 75 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से अपने भाषण में कहा था कि भारत ने 2047 तक ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य रखा है। इस भाषण के तीन महीने बाद ही नवंबर 2021 में ग्लासगो में आयोजित कॉप-26 में भारत ने 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन प्राप्त करने की घोषणा की। ग्लास्गो में भारत ने यह भी लक्ष्य...
More »डाउन टू अर्थ खास: बदलाव की पटरी पर भारतीय रेल
डाउन टू अर्थ, 3 जनवरी दुनिया के चौथे सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क भारतीय रेलवे ने अगले सात वर्षों में नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जक बनने का लक्ष्य रखा है। भारतीय रेलवे दो तरह से इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने की योजना बना रही है। पहला दिसम्बर 2023 तक सभी ट्रेनों को पूरी तरह इलेक्ट्रिक ट्रेन में तब्दीली और दूसरा साल 2030 तक ट्रेनों और स्टेशनों में अक्षय स्रोतों से उत्पादित ऊर्जा की सप्लाई।...
More »कार्बन ऑफ़सेट: सावधानीपूर्वक प्रयोग से हो सकती है उत्सर्जन में कमी, लेकिन सुधार हैं जरूरी
कार्बनकॉपी, 18 दिसंबर मध्य युग में सामाजिक और सांस्कृतिक सीमाओं के उल्लंघन की घटनाएं अचानक तेज हो गईं। तत्कालीन सुधारवादियों ने समाज में फैली इस नैतिक अधमता के लिए कैथोलिक चर्च द्वारा बेचे जाने वाले ‘लेटर ऑफ़ इंडलजेंस’, या क्षमा-पत्रों को ज़िम्मेदार ठहराया। यह पत्र पैसे या दान देकर चर्च से खरीदे जा सकते थे और कहा जाता था कि इन पत्रों के धारकों के सभी पाप धुल जाएंगे। इस तरह...
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